काला धन (अज्ञात विदेशी आय तथा परिसंपत्ति) तथा कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 (तत्पश्चात् अधिनियम) से संबंधित विभिन्न मुद्दे 2015 की परिपत्र सं. 15 के निगर्मन से विभिन्न हितधारकों द्वारा उठाए गए हैं। उसपर टिप्पणी के साथ उठाए गए कुछ मुद्दे निम्नानुसार हैं -
क्र.सं. | मुद्दे | टिप्पणी |
1. | अधिनियम की धारा 67 वर्णित करती है कि धारा 59 के अंतर्गत दाखिल घोषणा को धारा 67 में वर्णित पांच कानूनों के अंतर्गत निर्धारिती के विरूद्ध प्रयोग नहीं किया जा सकता। हालांकि, यदि एक नियामक विदेश में धारित विदेशी परिसंपत्ति के बारे में स्वतंत्र रूप से किसी सूचना को प्राप्त करता है तो की जा रही कार्रवार्इ से सख्ती से कोर्इ प्रतिरक्षा नहीं है। | चूंकि परिसंपत्ति धारा 59 के अंतर्गत घोषणा का विषयगत मामला है, इसलिए निर्दिष्ट 5 अधिनियमनों के अंतर्गत कोर्इ जुर्माना/अभियोजन कार्यवाही घोषित परिसंपत्ति के संबंध में प्रयोज्य नहीं होगी। |
2. | फेमा के अंतर्गत, एक भारतीय निवासी को विदेशी परिसंपत्ति को वापस लाना आपेक्षित है। यदि व्यक्ति धारा 59 के अंतर्गत अपनी विदेशी परिसंपत्ति की घोषणा करता है तो क्या वह विदेशी बैंक खाते के संचालन को जारी रखने/ ऐसी विदेशी घोषित परिसंपत्ति को रख सकता है। | आरबीआर्इ प्रेस विज्ञप्ति 2015-2016/754 दिनांक 24 सिंतबर, 2015 कथित पूछताछ का व्याख्यान करती हैं। |
3. | धारा 59 के अंतर्गत अनुपालन विंडो कम से कम 3 माह के लिए बढ़ार्इ जाएगी। | अनुपालन विंडो के अंतर्गत घोषणा को दाखिल करने के लिए नियत तिथियों को पहले ही अधिसूचित किया गया है जिसे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड दिनांक 21 सितंबर, 2015 की प्रेस विज्ञप्ति द्वारा आगे पुष्ट किया गया है। |
4. | एक स्पष्टीकरण जारी किया है कि क्या केवल वह परिसंपत्ति जो 01.07.2015 के अनुसार मौजूद है, को कर हेतु लाया गया है। यदि एक व्यक्ति परिसंपत्ति को निरंतर व्यय करता है अथवा परिसंपत्ति 01.07.2015 के अनुसार मौजूद नहीं होती, तो इसे अधिनियम के अंतर्गत अथवा आयकर अधिनियम के अंतर्गत करारोपित किया जाना है। | 2015 की परिपत्र सं. 13 की प्रश्न सं. 29, 19 तथा 20 में पहले ही स्पष्ट किया गया है। |
5. | अधिनियम के संचालन के लिए समय-सीमा को संशोधित किया जा सकता है ताकि 16 वर्षों से अधिक न हो। | अधिनियम के प्रावधान इस संबंध में स्पष्ट है तथा किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। |
6. | दिए गए विदेशी कर ऋण को अधिनियम के अंतर्गत मुहैया कराया जाना चाहिए। | अधिनियम के प्रावधान इस संबंध में स्पष्ट है तथा किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं हैं। |
7. | विदेशी पेंशन कोष को किए गए अंशदान की वर्तमान निविल अथवा बाजार राशि को कैसे पता किया जाए चूंकि उस राष्ट्र में कोर्इ मूल्यांकक नहीं हैं। | पेंशन कोष हेतु अंशदान की राशि पेंशन कोष को किए गए कुल अंशदान के उच्चतम अथवा कुल अंशदान की निविल परिसंपत्ति राशि पर होगी। आगे, मूल्यांकन रिपोर्ट निर्णय करने के लिए अनिवार्य नहीं है। |
8. | 'नियम 3(ग)(I) के अंतर्गत निर्दिष्टानुसार उच्चतम अधिग्रहण मूल्य तथा वर्तमान बाजार कीमत' की शर्त को 'मूल्यांकन तिथि के अनुसार वर्तमान बाजार कीमत' हेतु संशोधित किया है। | उच्चतम लागत अथवा बिक्री मूल्य की उचित बाजार कीमत के निर्धारणीय नियम को यथोचित विवेचना के साथ अधिसूचित किया गया है तथा किसी परिवर्तन की मांग नहीं है। |
9. | यदि एक भारतीय निवासी ने विदेशी न्यास को ऋण दिया है तथा न्यास ने उस ऋण से परिसंपत्ति ली है तथा संपत्ति अब वास्तविक मूल्य से कम है तो क्या भारतीय निवासी को न्यास को परिसंपत्ति के रूप में ऋण की घोषणा करनी चाहिए अथवा परिसंपत्ति के तौर पर संपत्ति की घोषणा की आवश्यकता है। | अधिनियम के प्रावधान अति स्पष्ट है कि घोषणा परिसंपत्ति के कानूनी अथवा लाभार्थी मालिक द्वारा की जानी है। आगे, इसे 2015 की परिपत्र सं. 15 के प्रश्न सं. 4 में भी स्पष्ट किया गया है। |
10. | जहां राशि को अज्ञात बैंक खाते से निरस्त किया गया था अथवा अघोषित विदेशी परिसंपत्ति का निपटान किया गया था तथा राशि को विदेश से चल निधि में रखा गया तो भारत में अघोषित परिसंपत्ति की कार्यवाही करने में फेमा के अंतर्गत आरबीआर्इ का क्या दृष्टिकोण है। | आरबीआर्इ प्रेस विज्ञप्ति 2015-2016/754 दिनांक 24 सितंबर, 2015 कथित पूछताछ का व्याख्यान करती है। |
11. | मामले जहां आधारभूत परिसंपत्ति कानूनी राशि है लेकिन अर्जित लाभ काला धन (सामान्यत: ओसीआर्इ/पीआर्इओ/विदेशी की स्थिति में जो भारत मे रहते तथा कार्यरत है), उदार उपचार के लायक है तथा उसकी परिसंपत्ति की राशि पर जुर्माने के तौर पर 30 प्रतिशत की अधिकतम स्लैब दर का भुगतान किया जाना चाहिए चूंकि वह केवल कानूनी रूप से अर्जित आधारभूत परिसंपत्ति से उसके लाभ/आय की सूचना में विफल हुआ है। | अधिनियम के प्रावधानों में कोर्इ अस्पष्टता नहीं है। सुझाव स्वीकार्य नहीं है चूंकि यह उस उद्देश्य के विपरीत है जिसके लिए काले धन कानून को अधिनियमित किया गया है। |
12. | जहां घोषक के पास विदेशी बैंक खाता था जो पूर्व के वर्षों में भारत में प्रत्यावर्तित किया गया है, क्या यह भारतीय बैंक खाते में जमा वास्तविक राशि पर आधारित आय के प्रस्ताव तथा परिसंपत्ति की राशि के लिए है। चूंकि राशि को पहले ही प्रचलित दर के मुकाबले न्यूनतम विनिमय दर पर पूर्व के वर्षों में भारतीय रूपयों में रूपांतरित किया गया है, 01.07.2015 के अनुसार उच्चतम रूपांतरण दर का अंगीकरण का परिणाम आय में कर निर्धारण होगा जिसे घोषक द्वारा कभी सांधित ही नहीं किया गया था। | अपनाए जाने वाली रूपांतरित दर से संबंधित नियम में कोर्इ अस्पष्टता नहीं है। काला धन नियम के नियम 3(4) तथा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के 2015 का परिपत्र 15 की पूछताछ 21 मुद्दे को सम्मलित करती है। |
13. | कर निहितार्थ क्या है यदि एक मूल कर-भुगतित परिसंपत्ति अमेरिका में छूट जाती है तथा केवल ब्याज तथा लाभांश को प्राप्त करने की अनुमति हो। क्या अनुसूची चक के अंतर्गत बैंक खाते के तौर पर ऐसी वर्तमान विदेशी परिसंपत्ति विवरण तथा ऐसे ब्याज तथा लाभांश को शामिल करना उपयुक्त है। | 2015 के परिपत्र 15 की प्रश्न संख्या 1 तथा 2 के अंतर्गत। |
14. | अधिनियम को फेमा, 1999 के अंतर्गत किसी उल्लंघन के नियमतीकरण के लिए मुहैया नहीं कराया गया है। कानून निरंतर अपराधों की प्रतिरक्षा के संबंध में भी महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में, क्या व्यक्ति को यह सोचते हुए व्यापार को बंद करना चाहिए कि व्यापार को फेमा के प्रावधानों के उल्लंघन के बावजूद स्थापित किया गया है। कैसे एक व्यक्ति फेमा के अंतर्गत उल्लंघन को नियमित करता है? एक व्यक्ति को किन घोषणाओं को फेमा के अपराध में विदेशी परिसंपत्ति के अधिग्रहण के लिए फेमा के अंतर्गत करना आपेक्षित है? क्या एक व्यक्ति, जिसने एक बार की अनुपालन योजना का चुनाव किया है, ऐसी परिसंपत्ति के संघटन को जारी रखने के लिए फेमा के अंतर्गत प्रतिरक्षा को प्राप्त कर सकता है? एक बार एक व्यक्ति के ऐसे खाते की घोषणा करने पर क्या उसे ऐसे खाते को बंद करना तथा राशि को भारत लाने की आवश्यकता है अथवा ऐसे खातों का संघटन जारी रखा जाए | फेमा के अंतर्गत भारत में एक निवासी व्यक्ति के संबंध में अधिनियम की अनुपालन विंडो के अंतर्गत घोषित तथा विदेश में संघटित परिसंपत्ति के नियमितकरण पर आरबीआर्इ प्रेस विज्ञप्ति 2015-2016/754 दिनांक 24 सितम्बर, 2015 कथित पूछताछ का संबोधन करती है। |
15. | क्या एक निवासी जिसने असूचीबद्ध विदेशी कंपनी की 100 प्रतिशत र्इक्विटी शेयर पूंजी को खरीदा है जो उसे उसके गैर-निवासी चचेरे भार्इ से पूर्णता उपहार के तौर पर प्राप्त हुर्इ है, जो ऐसे शेयर से विदेशी लाभांश आय को प्रकट करने की इच्छा रखता है, को अनुपालन विंडो के अंतर्गत विदेशी कंपनी के आधारभूत इक्विटी शेयर को प्रकट करना आपेक्षित है। | अधिनियम की धारा 2(11) के अंतर्गत, एक विदेशी अज्ञात परिसंपत्ति भारत से बाहर स्थित परिसंपत्ति के तौर पर परिभाषित है जो व्यक्ति द्वारा संघटित है जिसके लिए उसके पास निवेश के स्रोत के बारे में संतुष्टपूर्वक व्याख्या नहीं है। इसलिए, जहां मौजूद परिसंपत्ति के लिए एक संतुष्टिपूर्वक व्याख्या मौजूद है, तो यह अधिनियम के अंतर्गत अज्ञात विदेश परिसंपत्ति को संस्थापित नहीं करेगा। मुद्दे को 2015 के परिपत्र सं. 13 की प्रश्न सं. 18 द्वारा आगे स्पष्ट किया गया है। |
16. | अधिनियम के अंतर्गत घोषित परिसंपत्ति पर फेमा से प्रतिरक्षा, विदेशी परिसंपत्ति संघटन हेतु फेमा के अंतर्गत स्वीकृति पर स्पष्टीकरण की मांग गया है। क्या पिछली परिसंपत्ति, जिसे अनुपालन विंडो के अंतर्गत प्रकट किया गया है, को समाप्त करते हुए फेमा के उल्लंघन में पिछले समस्त लेनदेन नियमित है। | आरबीआर्इ प्रेस विज्ञप्ति 2015-2016/754 दिनांक 24 सितंबर, 2015 कथित पूछताछ का व्याख्यान करती है। अधिनियम को विशेष रूप से धारा 67 में मुहैया कराया गया है कि धारा 59 के अंतर्गत की गर्इ कोर्इ घोषणा फेमा के अंतर्गत जुर्माने/अभियोजन के लिए घोषक के समक्ष स्वीकार्य नहीं होगा। |
17. | क्या विदेश में बैंक खाता, जिसमें राशि अभी मौजूद है, रखने वाला व्यक्ति खाते में ऋण की घोषणा कर सकता है तथा भारत में शेष ला सकता है तथा प्रेषण से करों का भुगतान कर सकता है ? | बैंक खाते में ऋण की घोषणा पहले से अंतर्निहित है। आरबीआर्इ प्रेस विज्ञप्ति 2015-2016/754 दिनांक 24 सितंबर, 2015 कथित पूछताछ का व्याख्यान करती है। |
18. | आरबीआर्इ की प्रेस विज्ञप्ति निर्दिष्ट करती है कि "फेमा के अंतर्गत ऐसी घोषित परिसंपत्ति के निपटान की तथा घोषणा की तिथि से 180 दिनों के भीतर बैंकिंग माध्यम से भारत में प्राप्ति को वापस लाने की कोर्इ स्वीकृति नहीं होगी। आरबीआर्इ वर्तमान नियामकों के अनुसार ऐसे आवेदन के साथ व्यावहार करेगा। यदि ऐसी स्वीकृति नहीं दी जाती तो परिसंपत्ति का निपटान करना होगा तथा प्राप्ति को भारत वापस लाना होगा"। उक्त को देखते हुए, घोषकों के बीच संवेग है कि क्या होगा जहां आरबीआर्इ द्वारा स्वीकृति प्राप्त नहीं होती। | केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से संबंधित नहीं है, आरबीआर्इ के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत है। संदर्भ को स्पष्टीकरण के लिए मूल रूप से आरबीआर्इ को संबोधित किया गया है। |