वसीयतनामा के रखवालों और उनकी शक्तियाँ।

9. (1) कोई हिंदू पिता, जो अपने नाबालिग वैध बच्चों के प्राकृतिक संरक्षक के रूप में कार्य करने का हकदार है, वसीयत द्वारा, नाबालिग के शरीर के संबंध में या नाबालिग की संपत्ति के संबंध में (धारा 12 में निर्दिष्ट अविभाजित हित के अलावा) या दोनों के संबंध में उनमें से किसी के लिए एक संरक्षक नियुक्त कर सकता है।

(2) उपधारा (1) के अधीन की गई नियुक्ति उस स्थिति में प्रभावी नहीं होगी, यदि पिता की मृत्यु माता से पहले हो जाती है, किन्तु यदि माता की मृत्यु हो जाती है, तो वह किसी व्यक्ति को वसीयत द्वारा संरक्षक नियुक्त किए बिना पुनर्जीवित हो जाएगी।

(3) कोई हिन्दू विधवा, जो अपने अवयस्क वैध बच्चों की स्वाभाविक संरक्षक के रूप में कार्य करने की हकदार है, और कोई हिन्दू माता, जो अपने अवयस्क वैध बच्चों की स्वाभाविक संरक्षक के रूप में कार्य करने की हकदार है, इस तथ्य के कारण कि पिता ऐसे संरक्षक के रूप में कार्य करने के लिए हकदार नहीं रह गया है, वसीयत द्वारा, अवयस्क के शरीर के संबंध में या अवयस्क की संपत्ति के संबंध में (धारा 12 में निर्दिष्ट अविभाजित हित से भिन्न) या दोनों के संबंध में उनमें से किसी के लिए एक संरक्षक नियुक्त कर सकेगी।

(4) कोई हिन्दू माता, जो अपनी अवयस्क नाजायज संतानों की नैसर्गिक संरक्षक के रूप में कार्य करने की हकदार है, वसीयत द्वारा, अवयस्क के शरीर के संबंध में या अवयस्क की संपत्ति के संबंध में या दोनों के संबंध में उनमें से किसी के लिए संरक्षक नियुक्त कर सकेगी।

(5) वसीयत द्वारा इस प्रकार नियुक्त संरक्षक को, यथास्थिति, अवयस्क के पिता या माता की मृत्यु के पश्चात् अवयस्क के संरक्षक के रूप में कार्य करने और इस अधिनियम के अधीन प्राकृतिक संरक्षक के सभी अधिकारों का उस सीमा तक और ऐसे प्रतिबंधों के अधीन रहते हुए, यदि कोई हों, प्रयोग करने का अधिकार होगा, जो इस अधिनियम और वसीयत में विनिर्दिष्ट हैं।

(6) वसीयत द्वारा इस प्रकार नियुक्त संरक्षक का अधिकार, जहां नाबालिग लड़की है, उसके विवाह के बाद समाप्त हो जाएगा।