एमएपी दिशानिर्देश/2020

एफ.सं. 500/09/2016-एपीए-I

भारत सरकार

वित्त मंत्रालय

राजस्व विभाग

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड

विदेशी कर एवं कर अनुसंधान प्रभाग-I

एपीए-I प्रभाग

नई दिल्ली, दिनांक 7 अगस्त, 2020

 

विषय : आपसी समझौता प्रक्रिया (एमएपी) दिशानिर्देश - संबंधित

 

भारत का विभिन्न राष्ट्रों के साथ दोहरा कराधान परिहार समझौता (तत्पश्चात् डीटीएए या कर संधियां) का विस्तृत नेटवर्क है। डीटीएए, अन्य विषयों के साथ-साथ, कर सहभागियों के बीच कराधान अधिकार के आवंटन के नियम और तंत्र, आर्थिक एवं न्यायिक दोहरा कराधान का परिहार और आपसी समझौता प्रक्रिया (तत्पश्चात् एमएपी) के माध्यम से संधि का अनुपालन न करने वाले कराधान के समाधान मुहैया कराता है।

2. आयकर नियम, 1962 के नियम 44छ को जी.एस.आर. 282 (ई) दिनांक 6 मई, 2020 के माध्यम से हाल ही में अधिसूचित किया गया है। यह नियम पिछले नियम 44छ और 44ज को प्रतिस्थापित करेगा जो एमएपी के कार्यान्वयन के एक ही मुद्दे के साथ व्यवहार करता हैै। नियम, अन्य विषयों के साथ-साथ, तब तक भारतीय सक्षम प्राधिकारियों (तत्पश्चात् सीए) द्वारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया को मुहैया करता है जब तक एमएपी के परिणामों को कार्यान्वित करने के लिए क्षेत्रीय प्राधिकारियों द्वारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया और कराधान का मुद्दा संधि के अनुसार न हो। नया नियम 06 मई, 2020 से प्रभावी है और तद्नुसार 06 मई, 2020 के अनुसार भारत के सीए के पास लंबित समस्त एमएपी मामलों पर लागू होता है।

3. पूर्व के नियम के माध्यम से 44छ और 44ज कई वर्षों तक अस्तित्व में थे, ऐसी प्रक्रिया से संबंधित एमएपी प्रक्रियाओं और दिशानिर्देश से संबंधित ब्यौरेवार सूचना समग्र और समेकित तरीके में उपलब्ध नही थी। जी-20 और ओईसीडी राष्ट्रों की मूल कटौती और लाभ स्थानांतरण (तत्पश्चात् बीईपीएस) की 'विवाद समाधान को और अधिक प्रभावी बनाएं' पर कार्रवाई 14 अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से सिफारिश की गई थी कि सभी देश जो बीईपीएस उपायों के पैकेज को कार्यान्वित करते है उनको व्यापक एमएपी दिशानिर्देशों को प्रकाशित करना होगा।

4. उक्त को देखते हुए, बोर्ड ने करदाताओं, कर अभ्यासकर्ताओं, कर प्राधिकारियों और भारतीय सीए और संधि सहभागियों के लाभ के लिए इन एमएपी दिशानिर्देशों को जारी करने का निर्णय लिया हैै।

5. एमएपी दिशानिर्देश निम्नलिखित चार भागों में प्रस्तुत किए जाते हैं :

  •  भाग क : प्रस्तावना एवं मूल सूचना

  •  भाग ख : एमएपी तक पहुंच और पहुंच का अस्वीकरण

  •  भाग ग : तकनीकी मुद्दे और

  •  भाग घ : एमएपी परिणामों का कार्यान्वयन

 

भाग क

प्रस्तावना एवं मूल सूचना

I. आपसी समझौता प्रक्रिया (एमएपी)

आपसी समझौता प्रक्रिया (एमएपी) डीटीएए का अनुसरण न करने वाले कराधान या दोहरे कराधान में वृद्धि करने वाले विवादों के समाधान के लिए डीटीएए के अंतर्गत करदाताओं के लिए उपलब्ध विवाद समाधान तंत्र का एक विकल्प है। एमएपी या तो पूर्णता या आंशिक तौर पर दोहरे कराधान में राहत देने में मदद कर सकता हैै। भारत द्वारा किए गए लगभग समस्त डीटीएए में एमएपी अनुच्छेद है और यह भारत के घरेलू कानूनों के अंतर्गत उपलब्ध के अतिरिक्त करदाताओं के विवाद समाधान तंत्र मुहैया कराता है। एक करदाता भारतीय घरेलू कानून के अंतर्गत उपलब्ध कराए गए उपायों के बावजूद एमएपी के अंतर्गत सहायता के लिए अनुरोध कर सकता है।

एमएपी भारत के सीए को अन्य संधि सहभागियों के सीए के साथ कार्य करने की इजाजत देता है और यह एक प्रक्रिया है जो दोनों संधि सहभागियों के बीच विचार-विमर्श और बातचीत की सुविधा देता है जैसाकि वह अंतर्राष्ट्रीय कर विवादों, जो प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार नही है, का समाधान करने के प्रयास में करते हैं। वर्तमान में, भारत के पास एमएपी मामलों के लिए दो सीए है और वह राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय (संयुक्त सचिव, एफटी एंड टीआर-I और संयुक्त सचिव, एफटी एंड टीआर-II) में वरिष्ठ अधिकारी है। दो सीए को भारतीय विदेश मंत्री के द्वारा इस तौर पर नामित किया गया है। दोनो सीए का एमएपी मामलों पर प्रादेशिक क्षेत्राधिकार है जो संधि सहभागियों के स्थान पर निर्भर करता है। भारत के सीए स्वतंत्र कर प्राधिकारी है जो करदाताओं का अंकेक्षण करते हैं और अपने खुद के निर्णय लेते हैं जो सीबीडीटी, राजस्व विभाग के अंतर्गत आंतरिक गर्वेनेंस तंत्र द्वारा प्रशासनिक तौर पर ही नियंत्रित होते हैं।

एक करदाता द्वारा एक एमएपी अनुरोध किया जा सकता है जब यह समझा जाए कि एक या दोनों कर सहभागियों के कर प्राधिकारियों के कार्य का परिणाम प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होना है या होगा। विदेशी दोहरा कराधान वाले एमएपी मामले जो या तो न्यायिक दोहरा कराधान (दो विभिन्न देशों में एक ही उद्यम के हाथों एक ही आय पर दो बार कर) हो सकते हैं या आर्थिक दोहरा कराधान (दो विभिन्न राष्ट्रों में दो पृथक उद्यम, जो संबंधित उद्यम है, के हाथों करारोपित एक ही आय) दोहरा करधान या डीटीएए का अनुसरण न करने वाले कराधान निम्नलिखित परिस्थितियों में लगाए जा सकते है :

  •  स्थानांतरण मूल्यनिर्धारण समायोजन

  •  एक स्थाई प्रतिष्ठान की मौजूदगी

  •  एक स्थाई प्रतिष्ठान के लिए निर्दिष्ट लाभ

  •  आय या व्यय का वर्णन या पुन-वर्णन

II. भारतीय कर संधियां या डीटीएए

भारत का कर संधियों के मामले में बड़ा नेटवर्क है, जिसमें से लगभग सभी में यूएन/ओईसीडी मॉडल कर समझौते के अनुच्छेद 25 के प्रावधानों पर आधारित एक एमएपी अनुच्छेद शामिल है। यह कर संधियां (आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 90 या 90क के साथ पठित) एमएपी के लिए लागू करने के लिए करदाताओं के लिए और विवाद के समाधान को ढूंढ़ने के प्रयास के साथ एमएपी मामले पर विचार-विमर्श और बातचीत के लिए कानूनी आधार को संस्थापित करती है। करदाताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह उन कर संधियों के अंतर्गत एमएपी को लागू करने वाली शर्तों को समझने के लिए खुद प्रासंगिक कर संधियों के विषय को संदर्भित करें। भारतीय कर संधियां www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्घ है।

भारत द्वारा किए गए डीटीएए जिसमें एक एमएपी अनुच्छेद शामिल है जैसाकि ऊपर निर्दिष्ट है, द्वारा अपेक्षा की जाती है कि किसी भी संधि सहभागी के करदाता एक एमएपी के अनुरोध के लिए निवास करने वाले राष्ट्र के सीए के पास जा सकता है यदि अन्य संधि सहभागी के कर प्राधिकारियों ने समायोजन किया हो या ऐसी कार्रवाई की हो जिसका परिणाम दोहरा कराधान या प्रासंगिक कर संधियों के अनुसरण न करने वाले कराधान हो या हो सकते हैं। भारत की अधिकतर कर संधियों में एमएपी के लिए एक आवेदन करने की समय सीमा ऐसे कराधान में वृद्धि करने वाली कार्रवाई की पहली अधिसूचना से तीन वर्ष है। जहां भी ऐसा हो वहां बीईपीएस कार्रवाई 14 की अंतिम रिपोर्ट में शामिल सिफारिशों के अनुसार तीन वर्षों में परिवर्तित करने की अपेक्षा की जाती हैै। भारत इसे उन बहुराष्ट्रीय साधनों (तत्पश्चात् एमएआई) के माध्यम से ऐसे अपूर्ण कर संधियों के संशोधनों के माध्यम से सुनिश्चित करेगा जो प्रभावी तिथि 1 अक्टूबर 2019 तक भारत में प्रभावी हो चुके हो या प्रासंगिक संधि सहभागियों के साथ द्विपक्षीय विचार-विमर्श के माध्यम से प्रभावी हो चुके हो।

III. भारत में एक एमएपी आवेदन करना

भारत में एक निवासी करदाता मामले (संधि सहभागी की स्थिति पर निर्भर करते हुए) पर क्षेत्राधिकार रखने वाले भारत के सीए को आवेदन कर सकता है यदि यह समझा जाता है कि संधि सहभागियों के कर प्राधिकारियों की कार्रवाई का परिणाम प्रासंगिक कर संधि का अनुसरण न करने पर कराधान है या होगा। ऐसा आवेदन नियम 44छ के अनुसार प्रपत्र सं. 34च में किया जाना चाहिए। नियम के प्रासंगिक प्रावधान निम्नानुसार है :

'44छ (1) जहां एक निर्धारिती, भारत के निवासी के तौर पर, इस आधार पर, उसके अनुसार, किसी राष्ट्र या भारत के बाहर निर्दिष्ट क्षेत्र के कर प्राधिकारियों की किसी कार्रवाई द्वारा असंतुष्ट है कि ऐसी कार्रवाई ऐसे अन्य राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्र के समझौते की शर्तों के अनुसार नही है तो वह आपसी समझौता प्रक्रिया का आवाह्न करते हुए भारत के सक्षम प्राधिकारियों को आवेदन कर सकता है बशर्ते कि ऐसा समझौता प्रपत्र 34छ में किया गया हो'

निम्नलिखित सूचना और ब्यौरा भारत के सीए को एमएपी आवेदन करने के दौरान प्रपत्र सं. 34छ में किया जाना आवश्यक है :

 क) आवेदक का नाम

 ख) स्थाई खाता सं (पैन)/आधार नंबर

 ग) सर्कल/वार्ड

 घ) मूल्यांकन वर्ष

 ड़) पिछला वर्ष

 च) कार्यालय पता व दूरभाष नंबर

 छ) निवास पता व दूरभाषन नंबर (यदि लागू हो)

 ज) स्थिति

 झ) अन्य राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्र में कर प्राधिकारियों का नाम और पद (संधि सहभागी)

 ञ) कार्रवाई करने के नोटिस या आदेश की तिथि

 ट) क्या संधि सहभागी के कर प्राधिकारी के आदेश/कार्रवाई समझौते के अनुसार नही है यदि ऐसा है तो उसका कारण और

 ठ) दस्तावेजी प्रमाणों के साथ अन्य देश या निर्दिष्ट क्षेत्र, यदि हो में मांगे गए समाधान का ब्यौरा

प्रपत्र सं. 34छ के द्वारा राष्ट्र के नाम या निर्दिष्ट क्षेत्र के बारे में, उन कर प्राधिकारियों की कार्रवाई जिससे आवेदक असंतुष्ट है, की सूचना की भी आवश्यकता होती है। उक्त मद (ट) में, आवेदक को मामले के तथ्यों, उन मुद्दों के विश्लेषण को मुहैया कराना चाहिए जिसकी एमएपी के अंतर्गत समाधान करने की मांग की गई हो और कारण कि कर प्राधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णय क्यों प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार नही है।

उक्त सूचना और ब्यौरे के अलावा, प्रपत्र सं. 34च में आवेदन करते समय निम्नलिखित दस्तावेजों को प्रस्तुत करने की आवश्यकता है :

  •  प्रासंगिक डीटीएए का अनुसरण न करने वाली कार्रवाई में वृद्धि करते हुए नोटिस या आदेश की प्रति

  •  कोई दस्तावेज जिसे प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने पर संधि सहभागियों के कर प्राधिकारियों के आदेश/कार्रवाई पर विचार करते हुए समर्थित किया गया हो

  •  अन्य राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्र में मांगे गए उपाय के प्रमाण के तौर पर कोई दस्तावेज

  •  कोई अन्य दस्तावेज जो आवेदक जमा करना चाहता हो या भारत के सीए मांग सकते है

यदि एक भारतीय करदाता के संबद्ध उद्यम या संबंधित पक्ष भारत के कर प्राधिकारियों या ऐसे संधि सहभागी के कर प्राधिकारियों के किसी आदेश/कार्रवाई के संदर्भ में राष्ट्र या रहने के निर्दिष्ट क्षेत्र (संधि सहभागी) के सीए के समक्ष एक एमएपी आवेदन को जमा करता है तो ऐसे एमएपी आवेदन की प्रति मामले पर क्षेत्राधिकार रखने वाले भारत के सीए को भी मुहैया की जानी चाहिए। ऐसी संधि सहभागियों के सीए से एक एमएपी आवेदन की उनकी स्वीकृति के बारे में भारत के सीए को तुरंत सूचना देने की अपेक्षा की जाती है।

प्रपत्र सं. 34च में एमएपी आवेदन या अन्य राष्ट्रों या निर्दिष्ट क्षेत्रों (संधि सहभागी) के सीए के समक्ष दाखिल एमएपी आवेदन की प्रति को मामले पर अधिकार रखने वाले भारत के सीए को जमा की जानी चाहिए। भारत में दो सीए मौजूद है। उनका ब्यौरा इस प्रकार है :

जहां संधि सहभागी अमेरिका और उत्तरीय अमेरिका (कैरेबियन सहित) में एक राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्र के सहभागी है -

संयुक्त सचिव, एफटीएंडटीआर-I

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व विभाग,

वित्त मंत्रालय, भारत सरकार

कमरा नं. 803, 8वां तल,

'सी' विंग, हुडको-विशाला बिल्डिंग,

भीकाजी कामा पैलेस, नई दिल्ली-110066

जहां संधि सहभागी अमेरिका और उत्तरीय अमेरिका (कैरेबियन सहित) को छोड़कर दुनिया के किसी भी हिस्से में एक राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्र के सहभागी है -

संयुक्त सचिव, एफटीएंडटीआर-II

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व विभाग,

वित्त मंत्रालय, भारत सरकार

कमरा नं. 804, 8वां तल,

'सी' विंग, हुडको-विशाला बिल्डिंग,

भीकाजी कामा पैलेस, नई दिल्ली-110066

 

IV. एमएपी प्रक्रिया

एक बार मामले पर अधिकार रखने वाले भारत के सीए द्वारा आवेदन स्वीकार कर लिए जाने पर वह एक लिखित माध्यम (अधिसूचना या आवाह्न पत्र) के द्वारा ऐसी स्वीकृति के बारे में प्रासंगिक संधि सहभागी को सीए की सूचना देंगे। ऐसी लिखित सूचना में, वह यह भी संक्षित तौर पर इंगित करेंगी कि उनको ऐसा क्यो लगा कि संधि सहभागी के कर प्राधिकारियों की कार्रवाई का परिणाम प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार कराधान नही है या नही होगा। वह संधि सहभागी के सीए से भी अनुरोध करेंगी कि अपने राष्ट्र के कर प्राधिकारियों के आदेश/कार्रवाई पर लिखित स्थिति (स्थिति कागजात) भी मुहैया कराएं।

यदि एक एमएपी आवेदन, मामले पर अधिकार रखने वाले भारत के सीए द्वारा अस्वीकृत पाया जाता है तो वह उस कारण के बारे में प्रासंगिक संधि सहभागी के सीए को सूचित करते हुए उनको लिखित में सूचना देगी कि किन कारणों की वजह से एमएपी आवदेन को स्वीकृत नही किया जा सकता और उस (अधिसूचना और द्विपक्षीय विचार-विमर्श) पर अपने विचार/टिप्पणी भेजने के लिए पत्र का अनुरोध करेगी। एक बार दोनों सधि सहभागियों के सीए के विचारों के आदान-प्रदान होने पर और सामान्य समझ तक पहुंचने पर एमएपी आवेदन पर निर्णय को उन भारतीय करदाताओं के लिए मामले पर अधिकार रखने वाले भारत के सीए द्वारा सूचना दी जाएगी जिसने एमएपी आवेदन किया था।

जैसाकि ऊपर इंगित किया गया है, एक एमएपी आवेदन के स्वीकृत किए जाने पर, सीए विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। अधिकतर मामलों में, दृष्टिकोण को स्थिति संबंधी कागजात के माध्यम से सूचित किया जाता है। एक बार स्थिति संबंधी कागजात के अन्य सीए की ओर से प्राप्त होने पर, मामले पर अधिकार रखने वाले भारत के सीए इसकी जांच करेंगे और एक मोलभाव की स्थिति पर पहुंचेंगे। वह अन्य सीए को अपनी लिखित टिप्पणियों को भी मुहैया करा सकती है या उनसे और अधिक स्पष्टीकरण की मांग कर सकती हैं। स्थितियों और टिप्पणियों के आदान-प्रदान के बाद, दोनों सीए हाथों-हाथ विवाद के समाधान का प्रयास और बातचीत करेंगे। वह निजी तौर पर या टेलीकांफ्रेंस, विडियो कांफ्रेस या ईमेल के माध्यम से दूर से ही बातचीत कर सकते हैं।

यदि दोनों सीए ने एक एमएपी मामलों को सफलतापूर्वक सुलझा लिया हो तो वह जितना जल्दी हो सके उनके बीच आपसी समझौते को अंतिम रूप देंगे। मामले पर अधिकार रखने भारत के सीए उन भारतीय करदाताओं को सूचना देंगे जिन्होंने समाधान की नियम और शर्तों के बारे में एमएपी के लिए आवेदन किया था। एमएपी समाधान की स्वीकृति या अस्वीकृति भारतीय करदाता का विशेषाधिकार है लेकिन किसी भी स्थिति में एमएपी मामले को समाधान के तौर पर दोनों सीए द्वारा समाप्त किया जाएगा।

यदि दोनों सीए एक एमएपी मामले का समाधान करने में सक्षम न हो तो वह अनिर्णित के तौर पर एमएपी मामले को समाप्त करेंगे। मामले पर अधिकार रखने वाले भारत के सीए विवाद के समाधान न होने के बारे में भारतीय करदाता को सूचित करेंगे।

इसकी विपरीत स्थिति में, जहां एमएपी आवेदन संधि सहभागियों के सीए द्वारा स्वीकृत की गई हो तो उक्त निर्दिष्ट कुछ प्रक्रियाएं विपरीत दिशा में चलेंगी।

उक्त द्विपक्षीय एमएपी प्रक्रियाओं के अतिरिक्त, उपयुक्त मामलों में, भारत के सीए एक से अधिक संधि सहभागियों के साथ बहुपक्षीय एमएपी विचार-विमर्श में भाग ले सकते हैं। बहुपक्षीय एमएपी मामलों में संबंधित सीए के बीच बहुपक्षीय आधार पर उक्त सभी प्रक्रियाएं (जैसे स्थिति संबंधी कागजात का आदान-प्रदान, लेनदेन, आपसी समझौतोां का अंतिम रूप आदि) शामिल होगी। हालांकि, एक बहुपक्षीय एमएपी मामला समकक्ष द्विपक्षीय एमएपी मामलों की श्रृंखला के रूप में कार्यान्वित होगी। भारत के सीए एक बहुपक्षीय एमएपी अनुरोध को स्वीकृत करने के लिए सहमत हो सकते हैं यदि निम्नलिखित समस्त शर्तें पूरी होती है :

  •  समस्त भागीदार राष्ट्रों या निर्दिष्ट क्षेत्रों का एक-दूसरे के साथ डीटीएए हो

  •  विवादित लेनदेन या मुद्दे जिनका सभी संधि सहभागियों पर प्रभाव है, चाहे प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष और विवाद का समाधान न निकलने का परिणाम प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने पर कराधान होगा और

  •  सभी भागीदारी देशों या निर्दिष्ट क्षेत्रों के सीए एक बहुपक्षीय एमएपी की बातचीत के लिए सहमत हुए हो

V. एमएपी मामलों के समाधान और कार्यान्वयन की समय-सीमा

भारत 24 महीनों की औसत समयसीमा के अंदर एमएपी मामलों के समाधान का प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है कि प्रतिबद्धता उस समय सीमा (यह सभी मामलों में एक समाधान पर सहमति के लिए दोनो सीए के लिए संभव नही हो सकता) के अंदर एमएपी मामलों के समाधान के लिए नही है लेकिन ऐसा करने के प्रयास के लिए है। प्रतिबद्धता बीईपीएस कार्रवाई 14 अंतिम रिपोर्ट में न्यूनतम मानक सिफारिशों के अंदर अनुपालनता के अनुरूप है।

24 महीनों की अवधि एक एमएपी की प्रारंभिक तिथि से गिनी जानी है। चूंकि, वर्तमान में, भारत के सीए के समक्ष अधिकतर एमएपी मामले अन्य राष्ट्रों या निर्दिष्ट क्षेत्रों (संधि सहभागी) के सीए के समक्ष एक अनिवासी करदाता द्वारा दिए गए एमएपी आवेदन द्वारा उत्पन्न होते हैं तो "प्रारंभ होने की तिथि" से एमएपी सांख्यकीय प्रतिवेदी समयसीमा के अनुसार अन्य सीए द्वारा निर्धारित होती है।

कभी-कभी भारत के सीए प्रारंभिक तिथि के बाद भी संधि सहभागियों के सीए से एमएपी मामलों की सूचना को प्राप्त करते हैं। इसका परिणाम ऐसे एमएपी मामलों का समाधान करने के प्रयासों में देरी होता हैै। भारत पूरी तरह से प्रत्येक और हर एमएपी मामले के परिणामों को कार्यान्वित करने के प्रति पूर्णता प्रतिबद्ध है।

भारत का यह प्रयास है कि वह प्रत्येक एमएपी परिणामों को जल्द से जल्द कार्यान्वित करे। ऐसे परिणामों को कार्यान्वित करने के लिए प्रक्रिया और समयसीमा आयकर नियम, 1962 के नियम 44छ में शामिल है। नियम अन्य विषयों के साथ-साथ निम्नलिखित को मुहैया कराते हैं :

  •  एमएपी के लिए आवेदन कैसे करें

  •  एक एमएपी के लिए कौन आवेदन करेगा

  •  एमएपी के अंतर्गत कर के समाधान के प्रयास करने में भारत के सीए की भूमिका?

  •  एक एमएपी के समाधान के बाद की समयसीमा और प्रक्रियाएं

  •  भारतीय करदाताओं और एमएपी मामले के समाधान के बाद भारतीय प्राधिकारियों की भूमिका

नियम आयकर नियम, 1962 में देखें जा सकते है जो वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध है।

इसे निम्नलिखित लिंक https://www.incometaxindia.gov.in/news/notification23_2020.pdf पर देखा जा सकता है।

 

भाग ख

एमएपी के लिए स्वीकृति और स्वीकृति का अस्वीकरण

I. एमएपी की स्वीकृति

भारत भारतीय करदाताओं को एमएपी की विस्तृत और आसान स्वीकृति प्रदान कराता है यदि वह अन्य राष्ट्रों या निर्दिष्ट क्षेत्र (संधि सहभागी) के कर प्राधिकारियों के आदेश/कार्रवाई द्वारा असंतुष्ट हो और करदाता के विचार में ऐसे आदेश/कार्रवाई का परिणाम प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार कराधान का न होना है या होगा। एक आवेदन करने के लिए प्रक्रिया को भाग क में बताई गई है और ब्यौरा आयकर नियम, 1962 के नियम 44छ पर देखा जा सकता है।

भारत तब भी एमएपी का विस्तृत और आसान पहुंच प्रदान करता है जब अन्य देशों या निर्दिष्ट क्षेत्रों (सधि सहभागी) के सीए अपने करदाताओं से एमएपी आवेदन स्वीकृत करता है और उनकी स्वीकृति के बारे में भारत के सीए को अधिसूचित करता है। यह एमएपी मामले भारत या संधि सहभागियों के कर प्राधिकारियों के आदेश/कार्रवाई से उत्पन्न हो सकते है जो विदेशी करदाता के विचार में प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने पर कराधान लगता है या लगेगा।

भारत निम्नलिखित प्रकार के मामलो/स्थितियों कें संदर्भ में, अन्य विषयों के साथ-साथ, एमएपी तक पहुंच प्रदान करेगा यदि कराधान का परिणाम प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने पर कराधान लगे।

 क) स्थानांतरण मूल्यनिर्धारण समायोजन

 ख) एक स्थाई प्रतिष्ठान की मौजूदगी का निर्धारण

 ग) स्थाई प्रतिष्ठान को लाभ का निर्दिष्टकरण, चाहे करदाता द्वारा स्वीकृत हो या नही

 घ) एक करयोग्य व्यय या भुगतान (जैसे तकनीकी सेवाओं (एफटीएस) के लिए रॉयल्टी या शुल्क या ब्याज) की मद का वर्णन या पुन-वर्णन

 ड़) एक करयोग्य आय (जैसे तकनीकी सेवाओं (एफटीएस) के लिए रॉयल्टी या शुल्क या ब्याज) के तौर पर प्राप्ति की मद का वर्णन या पुन-वर्णन

भारत उस स्थिति में भी एमएपी को पहुंच प्रदान करेगा जहां भारतीय कर प्राधिकारी घरेलू गैर-दुरूपयोग प्रावधानों को लागू करते हैं।

कुछ स्थितियों में, जहां एक अनिवासी को एक भारतीय उद्यम द्वारा किए गए भुगतान पर स्त्रोत पर कर कटौती करने का दायित्व आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 201 के अंतर्गत पारित आदेश द्वारा लागू किया जाता हो और इसे बाहरी उद्यम द्वारा विवादित ठहराया जाता हो तो एमएपी पहुंच दोहरे कराधान के मामले में या कराधान प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने की आशंका के आधार पर ऐसी बाहरी उद्यम को मुहैया कराई जाएगी। हालांकि, ऐसी कार्रवाई पूर्णता घरेलू कानून और आय पर किसी कर के निर्धारण के आदेश के तौर पर न होने के लिए धारा 201 के अंतर्गत आदेश के अंतर्गत की जा रही है, एमएपी विचार-विमर्श अनिवासी करदाता के मामले में मूल्यांकन आदेश के बाद ही किया जाएगा और ऐसे अनिवासी करदाता को लगाता है कि निर्धारण आदेश द्वारा प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने पर कराधान लगाता है या लगेगा।

ऐसी कुछ परिस्थितियां है जहां भारत एमएपी तक पहुंच देगे लेकिन भारत के सीए ऐसी परिस्थितियों में क्या पहले ही प्राप्त किया जा चुका है, को छोड़कर ऐसे किसी अन्य परिणाम पर विचार-विमर्श नही करेंगे। परिस्थितियां निम्नानुसार है:

 क) बहुपक्षीय अग्रिम मूल्यनिर्धारण समझौते - जहां एक भारतीय या विदेशी करदाता केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के साथ एक बहुपक्षीय अग्रिम मूल्यनिर्धारण समझौता (तत्पश्चात् यूएपीए) करता है तो अन्य राष्ट्रों या निर्दिष्ट क्षेत्रों के सीमए ऐसे यूएपीए के संदर्भ में उनके करदाताओं से एमएपी आवेदनों को स्वीकृत कर सकते हैं यदि ऐसे अन्य राष्ट्रों के कर प्राधिकारी के निर्णय यूएपीए के अनुसार दाखिल विवरणी में घोषित आय को अव्यवस्थित करते है और भारत के सीए को अधिसूचित कर सकते हैं। बाद में एमएपी की पहुंच की स्वीकृति देगा लेकिन यूएपीए की नियम एवं शर्तों को परिवर्तित नही करेगा, बल्कि संबंधित राहत देने के लिए संधि सहभागियों के सीए को अनुरोध करेगा।

विचारनीय और बातचीत योग्य यूएपीए आवेदनों के संदर्भ में, यूएपीए आवेदनों की ऐसी विलंबिता के दौरान भारत या विदेशों में कर प्राधिकारियों की कार्रवाई प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने पर कराधान में वृद्धि कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में, भारत के सीए या अन्य देशों या निर्दिष्ट क्षेत्रों के सीए अपने करदाताओं से एमएपी आवेदनों को स्वीकृत कर सकते हैं और एक-दूसरे को अधिसूचित कर सकते है। जहां भारत के सीए एमएपी की पहुंच की स्वीकृति देंगे वह यूएपीए करने तक ऐसे एमएपी मामलों को प्रसंस्कृत नही करेंगे। यदि यूएपीए किया गया हो तो भारत के सीए यूएपीए की नियम और शर्तें को परिवर्तित नही करेंगे और संधि सहभागियों के सीए से सम्बन्धित राहत देने का अनुरोध करेंगे। हालांकि, यदि यूएपीए किसी कारण से न किया गया हो तो भारत के सीए ऐसे एमएपी मामलों की प्रसंस्करण को प्रारंभ करेंगे जैसाकि अन्य सभी एमएपी मामलों में किया गया।

 ख) सेफ हॉर्बर - जहां एक भारतीय या विदेशी करदाता सेफ हॉर्बर प्रावधानों, जो कि इसके अंतर्राष्ट्रीय लेनदेनों पर लागू होते है, को लागू करते है और आय की विवरणी भारत के कर प्राधिकारियों द्वारा स्वीकृत होती है तो अन्य राष्ट्रों या निर्दिष्ट घरेलू क्षेत्रों के सीए ऐसे अन्य राष्ट्रों के कर प्राधिकारियों के किसी निर्णय के संदर्भ में उनके करदाताओं से एमएपी आवेदनों को स्वीकृत कर सकते है यदि ऐसे निर्णय सेफ हॉर्बर प्रावधानों के अनुसार दाखिल विवरणी को अव्यवस्थित करने का निर्णय लेते है और भारत के सीए को अधिसूचित करते है। बाद में एमएपी तक पहुंच की अनुमति मिलेगी लेकिन सेफ हॉर्बर प्रावधानों के अंतर्गत आने वाले अंतर्राष्ट्रीय लेनदेनों के एएलपी को परिवर्तित नही करेगा। बल्कि वह संबंधित राहत देने के लिए संधि करने वाले सहभागी को सीए को अनुरोध करेगा।

 ग) आयकर अपीलीय न्यायधिकरण का आदेश - चूंकि एमएपी और घरेलू उपचार प्रक्रियाओं का एक ही समय में करदाताओं द्वारा लाभ लिया जा सकता है ऐसे मामले देखे गए है कि जहां भारत में आयकर अपीलीय न्यायधिकरण (तत्पश्चात् आईटीएटी) उसी विवाद के संदर्भ में आदेश पारित करता है जिसे एमएपी के अंतर्गत जांचा जा रहा है। चूंकि, आईटीएटी एक स्वतंत्र सांविधिक अपीलीय निकाय है जो भारतीय कर प्राधिकारियों के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र से बाहर है और कर मामलों पर सर्वोच्च तथ्य जांच करने वाली निकाय है, भारत के सीए प्रासंगिक वर्ष के लिए आईटीएटी के आदेश को अस्वीकृत नही करेगी जहां विवाद का निर्णय योग्यता के आधार पर किया जाता है। ऐसे मामलों में, भारत के सीए, संधि करने वाले सहभागियों के सीए से संबंधी राहत देने का अनुरोध करेंगे यदि आवश्यक हो। ऐसे एमएपी मामलों को घरेलू उपचार कर दिया गया है के तौर पर समाप्त किया जाएगा। हालांकि, यदि आईटीएटी के आदेश विवाद का समाधान नही करते लेकिन स्थगित किए जाने के लिए पृथक किया जाता तो एमएपी तक पहुंच कर प्राधिकारियों द्वारा नए स्थगित करने के बाद दुबारा मुहैया कराई जाएगी यदि प्रासंगिक करदाताओं द्वारा अनुरोध किया जाता है।

II. एमएपी तक पहुंच का अस्वीकरण

भारत के सीए कुछ स्थितियों या कुछ विशेष मामलों में एमएपी तक पहुंच को मना कर सकते है। ऐसी स्थितियां और ब्यौरेवार मामले निम्नानुसार है :

 क) एमएपी आवेदनों में देरी - यदि करदाता भारत के सीए या प्रासंगिक डीटीएए के एमएपी (ओईसीडी मॉडल कर समझौते के अनुच्छेद 25(1) द्वितीय वाक्य के तद्नुसार) से संबंधित अनुच्छेदों में निर्दिष्ट समय सीमा की समाप्ति के बाद संधि सहभागियों के सीए को एमएपी आवेदन करता है तो भारत के सीए एमएपी तक पहुंच प्रदान नहीं करेंगे। अधिकतर मामलों में यह समयावधि कर प्राधिकारियों के आदेश/कार्रवाई की पहली अधिसूचना से तीन वर्षों के अंतर्गत है जिसका परिणाम प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने पर कराधान है या होगा। भारत 3 वर्षीय समयावधि देने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत द्वारा किए गए लगभग समस्त डीटीएए की यह समय अवधि है। कुछ ऐसे डीटीएए है जहां यह न्यूनतम समयावधि उपलब्ध नही है और इसे मुहैया कराने के लिए उन डीटीएए को संशोधित करने के लिए प्रयास किए है।

 ख) करदाताओं की आपत्तियां न्यायसंगत नही है - यदि भारत के सीए इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि कर प्राधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाईयों पर करदाता द्वारा की गई आपत्तियां न्यायसंगत नही है तो वह एमएपी तक पहुंच को मना कर सकते हैं। हालांकि, ऐसी स्थितियों में एमएपी तक पहुंच को मना करने के निर्णय लेने से पूर्व मामले पर अधिकार रखने वाले सीए और संधि सहभागियों के सीए के साथ और करदाता के साथ मामले पर विचार-विमर्श करेंगे। हालांकि, ऐसा विचार-विमर्श मामले का समाधान कैसे किया जाए के तौर पर विचार-विमर्श के रूप में स्पष्ट नहीं किया जाएगा।

 ग) अपूर्ण एमएपी आवेदन/दस्तावेज/सूचना - जब एक भारतीय करदाता प्रपत्र सं. 34च में भारत में एमएपी आवेदन करता है तो सभी रूप से पूर्ण होने की अपेक्षा की जाती है। यदि भारतीय सीए आवेदन में कुछ गलतियों या त्रुटियों की ओर इशारा करते हैं या अतिरिक्त सूचना/दस्तावेज की मांग करते हैं तो भारतीय करदाताओं को गलतियों/त्रुटियों का समाधान करना चाहिए और उपयुक्त समय सीमा के अंदर सूचना/दस्तावेजों को उपलब्ध कराना चाहिए। ऐसे अतिरिक्त अनिवार्यताओं का अनुपालन करने के लिए भारतीय करदाताओं के लिए नियम 44छ में कोई समयावधि निर्धारित नही है। इसलिए, भारत के सीए से गलतियों/त्रुटियों के समाधान के लिए करदाताओं को उपयुक्त समय देने और सूचना/दस्तावेज देने की अपेक्षा की जाती है। सामान्य तौर पर, गलतियो/त्रुटियों के समाधान के लिए 30 दिनों और अतिरिक्त सूचना/दस्तावेजों को मुहैया कराने के लिए 90 दिनों की समयावधि उस प्रक्रिया की सुविधा देने के लिए भारत के सीए द्वारा उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिसे मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर सीए द्वारा बढ़ाया जा सकता है।

संधि सहभागियों के सीए द्वारा स्वीकृत एमएपी आवेदनों और बाद में भारत के सीए को अधिसूचित किए जाने के और बाद में स्वीकृत किए जाने के संदर्भ में, नियम 44छ मुहैया कराता है कि भारत के सीए भारतीय करदाताओं या उनके प्रतिनिधियों से सूचना/दस्तावेजों की मांग कर सकते हैं। नियम ऐसी सूचना/दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए ऐसे करदाताओं या उनके प्रतिनिधियों के लिए किसी समय-सीमा का निर्धारण नही करते। इसलिए भारत के सीए से सूचना/दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए करदाताओं या उनके प्रतिनिधियों से उपयुक्त समय देने की अपेक्षा की जाती हैै। सामान्य तौर पर अतिरिक्त सूचना/दस्तावेजों को देने के लिए 90 दिनों की समयावधि प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत के सीए द्वारा उपलब्ध की जानी चाहिए जिसे मामले के तथ्यों और परिस्थतियों पर निर्भर करते हुए सीए द्वारा बढ़ाई जा सकती है।

 घ) आयकर निपटान आयोग - आयकर अधिनियम, 1961 के अध्याय XIX-क में धारा 245क से 245ठ को मामलों के निपटान के लिए आयकर निपटान आयोग (तत्पश्चात् आईटीएससी) नामक एक आयोग के गठन के लिए मुहैया कराया गया है। आईटीएससी एक स्वतंत्र सांविधिक विवाद समाधान निकाय है। आईटीएससी द्वारा विवादों के निपटान की प्रक्रिया कर प्राधिकारियों के अंकेक्षण और परीक्षण कार्यों से स्वतंत्र है। यह एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है और एक करदाता को अपने विवादों के निपटारे के लिए आवेदन करना होगा। एक बार आवेदन के स्वीकृत कर लिए जाने पर आईटीएससी विवादों के सभी पहलुओं की जांच करता है और एक निपटान आदेश निकालता है। यदि आईटीएससी एक निपटान आदेश जारी करता है तो यह दोनो करदाता और कर प्राधिकारियों पर बाध्यकारी होता है। भारत के सीए को उन भारतीय करदाताओं को एमएपी तक पहुंच नही देंगे जिन्होंने आईटीएससी से पहले ही निपटान आदेश प्राप्त कर लिया है और ऐसे आदेश उन मामलों को कवर करेंगे जिनको एमएपी आवेदन में शामिल करने की मांग की गई है। इसी प्रकार, भारत के सीए वहां एमएपी के अंतर्गत मामलो को स्वीकृत नहीं करेंगे जहां संधि सहभागियों के सीए ने उनके राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्रों के करदाता द्वारा एमएपी आवेदन को स्वीकृत कर लिया हो जिन्होंने (या भारत में इसके संबधित उद्यम) आईटीएसाी से निपटान आदेश प्राप्त कर लिया हो और ऐसे आदेश उन मुद्दों को कवर करेंगे जिनको संधि सहभागियों के सीमए द्वारा स्वीकृत एमएपी आवेदन में शामिल किया जा चुका है।

भारत के सीए एक भारतीय करदाता को एमएपी तक पहुंच नहीं देंगे या एमएपी के अंतर्गत एक मामले को स्वीकार नहीं करेंगे जहां संधि सहभागियों के सीए ने करदाताओं के राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्र के करदाता द्वारा एमएपी आवेदन स्वीकृत कर लिया हो, यदि ऐसा कोई भी करदाता निपटान आवेदन को आईटीएसी द्वारा स्वीकृत कर लिया गया हो और निपटान संबंधी मामला आईटीएससी द्वारा जांच के अंतर्गत हो। हालांकि यदि आईटीएएसी एक निपटान आदेश को जारी करने से मना करता है या निपटान किए बिना आदेश जारी करता है या आईटीएससी के समक्ष प्रक्रिया रद्द करता है और फिर कर प्राधिकारी कार्रवाई करता है जिसका करदाता के विचार में परिणाम प्रासंगिक डीटीएए के अनुसार न होने पर कराधान है या होगा।

 ड़) अग्रिम निर्णय के लिए प्राधिकारी - आयकर अधिनियम, 1961 के अध्याय XIX-ख में धारा 245ढ से 245त को एक करदाता द्वारा अग्रिम निर्णय प्राधिकारी के समक्ष लाए गए प्रश्न/मुद्दों पर अग्रिम निर्णय देने के लिए अग्रिम निर्णय (तत्पश्चात् एएआर) प्राधिकारी नामक एक प्राधिकारी का गठन किया गया है। एएआर एक स्वतंत्र सांविधिक विवाद रोकथाम निकाय है। एएआर द्वारा अग्रिम निर्णय देने की प्रक्रिया अंकेक्षण और कर प्राधिकारियों के कार्यों के परीक्षण से मुक्त है। यह एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है और करदाताओं को एक निर्णय प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होगा। आवेदन के स्वीकृत हो जाने पर एएआर उनके समक्ष लाए गए प्रश्नों/मुद्दों के सभी पहलुओं की जांच करते है और ऐसे प्रश्नों/मुद्दों पर इसके अग्रिम निर्णय की घोषणा करते हैं। यदि एएआर एक अग्रिम निर्णय की घोषणा करते हैं तो यह दोनों करदाताओं और कर प्राधिकारियों पर बाध्यकारी है। भारत के सीए को उन भारतीय करदाताओं को एमएपी तक पहुंच नही देंगे जिन्होंने एएआर से पहले ही अग्रिम निर्णय प्राप्त कर लिया है और ऐसे अग्रिम निर्णय उन मामलों को कवर करेंगे जिनको एमएपी आवेदन में शामिल करने की मांग की गई है। इसी प्रकार, भारत के सीए वहां एमएपी के अंतर्गत मामलो को स्वीकृत नहीं करेंगे जहां संधि सहभागियों के सीए ने उनके राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्रों के करदाता द्वारा एमएपी आवेदन को स्वीकृत कर लिया हो जिन्होंने (या भारत में इसके संबधित उद्यम या लेनदेन जिस पर अग्रिम निर्णय की मांग की गई है, के लिए प्रासंगिक पक्ष ) एएआर से अग्रिम निर्णय आदेश प्राप्त कर लिया हो और ऐसे अग्रिम निर्णय उन मुद्दों को कवर करेंगे जिनको संधि सहभागियों के सीमए द्वारा स्वीकृत एमएपी आवेदन में शामिल किया जा चुका है।

भारत के सीए एक भारतीय करदाता को एमएपी तक पहुंच नहीं देंगे या एमएपी के अंतर्गत एक मामले को स्वीकार नहीं करेंगे जहां संधि सहभागियों के सीए ने करदाताओं के राष्ट्र या निर्दिष्ट क्षेत्र के करदाता द्वारा एमएपी आवेदन स्वीकृत कर लिया हो, यदि ऐसा किसी भी करदाता का आवेदन (या भारत में इसके संबधित उद्यम या लेनदेन जिस पर अग्रिम निर्णय की मांग की गई है, के लिए प्रासंगिक पक्ष ) एएआर द्वारा स्वीकृत कर लिया गया हो और आवेदन में निर्दिष्ट प्रश्न/मुद्दे एएआर द्वारा जांच के अंतर्गत हो।

उक्त (क) से (ड़) में स्थितियों और विशेष मामलों के अतिरिक्त, यह स्पष्ट किया जाता है कि कोई एमएपी पहुंच उन मुद्दों के संदर्भ में मुहैया नहीं कराई जाएगी जो भारत के घरेलू कानून द्वारा नियंत्रित होती है और भारत के घरेलू कानूनी प्रावधानों के कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न होते हैं।

भाग ग

तकनीकी मुद्दे

I. अवरोही समायोजन

भारत के सीए अपने समकक्षों के साथ एमएपी मामले के संबंध में बातचीत कर सकता है और भारत में कर प्राधिकारियों द्वारा किए गए सभी या आंशिक समायोजन को निरस्त कर सकता है। हालांकि, भारत के सीए विवरणी आय से नीचे नही जा सकता जैसाकि यह भारतीय घरेलू कानून में स्पष्ट रूप से निषेध है। स्थानांतरण मूल्यनिर्धारण मामले के संदर्भ में, आयकर अधिनियम 1961 की धारा 92 की उप-धारा (3) के प्रावधानों का सामान्य पठन यह स्पष्ट करता है कि यदि एक अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन की सहमति कीमत को लागू करने के परिणाम कर हेतु वसूली गई आय कम होना या हानि बढ़ना जैसाकि सुरक्षित रखे गए बही खातों के आधार पर आंका गया है तो कथित धारा 92 के प्रावधान लागू नही होंगे। भारत के सीए को भारतीय कर प्राधिकारियों द्वारा किए गए समायोजन वाले स्थानांतरण मूल्यनिर्धारण एमएपी मामलों के विचार-विमर्श के दौरान इस प्रावधान को अनुपालन करना होगा।

हालांकि, एक संधि भागीदार के कर प्राधिकारियों द्वारा किए गए समायोजन वाले एमएपी मामलों के संदर्भ में भारतीय सीए संधि दायित्वों के अनुसार पूर्ण उपाय के कार्यान्वयन के लिए भारतीय करदाताओं की वापसी आय से नीचे नही जा सकते।

II. मुद्दों के बार-बार उठाए जाने का समाधान

भारतीय सीए उन्ही सिद्धांतों पर बार-बार आने वाले मुद्दों का समाधान कर सकते हैं जैसाकि पूर्व एमएपी समाधान में अपनाया गया है। हालांकि, वह भारत में कर प्राधिकारियों द्वारा आदेश/कार्रवाई के पहले से ऐसे आवर्ती मुद्दों का समाधान नही कर सकते। अन्य शब्दों में, उनके पास कर प्राधिकारियों द्वारा उस आदेश को देने से रोकने का अधिकार नहीं है जो उसी करदाता के मामले में और उसी मुद्दे के स्थिति में पूर्व एमएपी समाधान के अनुरूप नही है।

III. ब्याज और जुर्माना

आय की मात्रा पर अधिकतर विवादों में जिनका एमएपी के अंतर्गत समधान निकला है, ब्याज और जुर्माने के अहम मुद्दें हैं। भारत के सीए के पास ऐसे अहम् मुद्दों पर विचार और ऐसे मुद्दों से उत्पन्न विवादों के संबंध में बातचीत करने की आज्ञा नहीं है। इनको घरेलू कानूनों के अंतर्गत प्रंबंधित किया जाना है। हालांकि, जहां ब्याज और जुर्माने की राशि आय की मात्रा से जुड़ी हो तो ऐसा ब्याज और जुर्माना उसी अनुपात में अलग-अलग होगा जैसा कि घरेलू कानून के अनुसार एक एमएपी समाधान की देय आय की मात्रा में अलग-अलग होता है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि भारतीय आयकर अधिनियम के अंतर्गत जुर्माने/शुल्क के प्रावधान है जो आय की मात्रा से संबंधित नही है और तद्नुसार, वह एमएपी के अंतर्गत समाधान द्वारा प्रभावित नही होगी।

IV. द्वितीयक समायोजन

भारत के पास उन मामलों में द्वितीयक समायोजन करने के प्रावधान है जहां प्राथमिक स्थानांतरण मूल्यनिर्धारण समायोजन वित्त वर्ष 2016-17 या उसके बाद किया गया हो। इसलिए, भारतीय सीए वित्त वर्ष 2016-17 या उसके बाद के वर्ष से संबंधित मामलों के संदर्भ में आंशिक एमएपी समाधान के ऐसे द्वितीयक समायोजन करने के लिए प्रतिबद्ध होगा।

V. द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय एपीए

भारत के पास सुव्यवस्थित एपीए कार्यक्रम है जिसमें एकपक्षीय, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एपीए शामिल है। उन मुद्दों के संदर्भ में जिसके लिए एक बहुपक्षीय या द्विपक्षीय एपीए आवेदन को पहले ही दाखिल और स्वीकृत किया गया हो, उन्हीं वर्षों के लिए उन्हीं मुद्दों पर एमएपी का प्रयोग करदाता द्वारा नहीं किया जाना चाहिए। यदि एमएपी आवेदन भारत के सीए या संधि सहभागियों के सीए के समक्ष दिया जाता है तो भारत के सीए को अपने समकक्षों से विचार-विमर्श करना चाहिए और ऐसे एमएपी आवेदनों को स्वीकृत नहीं करना चाहिए। हालांकि, यदि एक द्विपक्षीय या बहुपक्षीय एपीए आवेदन किसी कारण से एक समझौते के परिणामस्वरूप विफल हो जाता है तो उसी मुद्दे पर और उन्हीं वर्षों के लिए एक एमएपी आवेदन या तो भारत के सीए या संधि सहभागियों के सीए के समक्ष किया जा सकता है और इसे भारत के सीए द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है यदि यह एक एमएपी आवेदन की समस्त शर्तों को पूरा करता है।

VI. एमएपी की लंबिता के दौरान करों के संग्रहण का निलंबन

सीमित संख्या में संधि सहभागियों के साथ, भारत ने एमएपी अनुच्छेदों के क्षेत्र के अंतर्गत एक ज्ञापन समझौता (एमओयू) किया है जो उन मामलों में एमएपी की लंबिता के दौरान निलंबन के अंतर्गत एक मामले में करों के संग्रहण को रखने के लिए मुहैया कराया गया है। कर जिसका संग्रहण निलंबित हो सकता है वह है जो विवाद से उत्पन्न हुए है जो एमएपी के अंतर्गत विचारनीय है। करदाताओं को निलंबित करों के संग्र्रहण को प्राप्त करने के लिए एमओयू में निर्दिष्ट नियम और शर्तों का अनुपालन करना होगा।

उन राष्ट्रों के साथ एमएपी मामलों के संदर्भ में जहां ऐसा कोई एमओयू डीटीएए में मौजूद है, भारत के घरेलू कानून (सीबीडीटी द्वारा जारी निर्देशों/परिपत्रों सहित) करों के संग्रहण या मांग के स्थगन के निलंबन से संबंधित प्रक्रियाओं को नियंत्रित करेगा।

VII. आयकर अधिनियम की धारा 201 के अंतर्गत एक आदेश द्वारा उत्पन्न मांग के अनुसार दिए गए मरों का समायोजन

भारतीय करदाता (अदाता उद्यम) पर आयकर अधिनियम की धारा 201 के अंतर्गत पारित आदेश में से उत्पन्न मांग के परिणामस्वरूप किए गए करों (ब्याज को छोड़कर) के भुगतान प्रासंगिक मुद्दों और प्रासंगिक वर्षों के लिए अनिवासी करदाता के मामले में एमएपी के समाधान की स्थिति में अनिवासी करदाता (अदाता उद्यम) की कर देयता के समक्ष समायोजित किया जा सकता हैै।

भाग घ

एमएपी परिणामों का कार्यान्वयन

I. एमएपी का कार्यान्वयन

भारत हर और प्रत्येक मामले में एमएपी के परिणामों को कार्यान्वियत करने के लिए प्रतिबद्ध है। एमएपी परिणामों को कार्यान्वित करने के लिए कोई कानूनी या प्रशासनिक रूकावट नही है। इस सामान्य नियम का केवल एक अपवाद एमएपी मामला है जिसमें एक आईटीएटी (उसी निर्धारण वर्ष के लिए जिसको एमएपी के अंतर्गत समाधान किया गया है) का आदेश एमएपी के समाधान निकलने के बाद भारत के सीए के ध्यान में आता है या एमएपी का समाधान हो गया है लेकिन अभी भी क्रियान्वयन किया जाना है के बाद स्पष्ट किया गया है।

उक्त मामलों/स्थितियों के संदर्भ में, एमएपी के परिणामों को क्रियान्वित नहीं किया जा सकता और भारत के सीए आईटीएटी आदेश के परिणामों के बारे में अपने समकक्षों को सूचित करेंगे और उनसे आईटीएटी द्वारा निरंतर समयोजन, यदि हो, के सहसंबंधी राहत देने का अनुरोध करेंगे।

II. समयसीमा

नया नियम 44छ जिसे पर पहले चर्चा की गई है, उस एक एमएपी के क्रियान्वयन के लिए भारत में करदाता और कर प्राधिकारियों के लिए स्पष्ट समयसीमा मुहैया कराता हैै जिसका दोनों सधि सहभागियों के सीए द्वारा समाधान किया गया। करदाता को एक एमएपी के समाधान की स्वीकृति को संप्रेषित करने और घरेलू अपीलों के निरस्ती के प्रमाण को जमा करने के लिए 30 दिन (भारत के सीए की ओर से एक संप्रेषण की प्राप्ति की तिथि से) की समयावधि दी गई है। समयावधि के अंतर्गत एमएपी समाधान की स्वीकृति का संदेश देना अनिवार्य है और ऐसा न करने पर एमएपी समाधान का क्रियान्वयन नही किया गया है प्रस्तुत किया जा सकता है। इसी प्रकार, निर्धारण अधिकारी को एमएपी समाधान को प्रभावी करने के लिए एक महीने (उस महीने की समाप्ति से जिसमें वह समाधान का ब्यौरा प्रदान करते हुए मामले पर अधिकार रखने वाले भारत के सीए का प्त्र प्राप्त होता है) की समयावधि मुहैया कराई गई है। इस समयावधि के एमएपी क्रियान्वयन प्रक्रिया को तेज करने तथा और अधिक प्रभावी करने की संभावना है।

संबंधित प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त को एमएपी के अंतर्गत सहमति समाधान का ब्यौरा सूचित करने के दौरान, भारत के सीए तीव्र क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए निर्धारण अधिकारी, उनके नियंत्रक अधिकारी, आयकर आयुक्त/मुख्य आयकर आयुक्त और संबंधित मुख्य आयकर आयुक्त को अपने पत्र की एक प्रति देंगे।

III. भारत के सीए को सूचना

निर्धारण अधिकारी, मामले में अधिकार रखने वाले भारत के सीए को एमएपी समाधान को प्रभावी करने के अदोश की प्रति को भेजने के अलावा, को करदाता द्वारा करों के भुगतान की राशि/तिथि के संबंध में सूचना या करदाता को प्रतिदाय को जारी करने की राशि/तिथि (जो भी हो), कर प्राधिकारियों द्वारा दाखिल अपीलों को निरस्त करने और अन्य कोई प्रासंगिक विवरण के संबंध में सूचना देनी होगी।

6. एमएपी दिशानिर्देश, जैसे ऊपर है, का अनुपालन और करदाताओं, कर अभ्यासकर्ताओं, भारत में कर प्राधिकारियों और भारत के सीए को संदर्भित किया जा सकता है। यदि एमएपी दिशानिर्देशों के किसी भी पहलू पर घरेलू कानून, नियम, निर्देशों और भारत में परिपत्रों या भारत द्वारा किए गए डीटीएए के साथ कोई विवाद होता है तो ऐसे घरेलू कानून, नियम, निर्देश और परिपत्रों या डीटीएए, जो भी हो, पर लागू होगा।

 

(सोबन कर)

आयकर आयुक्त (ओएसडी), एपीए

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड,

भारत सरकार

 

निम्न को प्रति :

(क) अध्यक्ष और सदस्य, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड

(ख) प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त/प्रधान आयकर महानिदेशक/मुख्य आयकर आयुक्त/आयकर निदेशक से अपने क्षेत्रों में समस्त अधिकारियों के बीच वितरित करने के अनुरोध के साथ

(ग) सीबीडीटी में संयुक्त सचिव/आयुक्त/निदेशक/उप सचिव/अवर सचिव

(घ) आईआरएस वेबसाइट पर अपलोडिंग के लिए डेटाबेस प्रकोष्ठ

(ड़) विभागीय वेबसाइट पर अपलोडिंग के लिए वेब मैनेजर

 

(सोबन कर)

आयकर आयुक्त (ओएसडी), एपीए

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड,

भारत सरकार