परिपत्र सं. 38/2016
एफ.नं. 279/विविध/140/2015-आर्इटीजे
भारत सरकार
वित्त मंत्रालय
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड
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नर्इ दिल्ली, 22 नवंबर, 2016
विषय : सहभागी की स्थिति में प्रमुख बीमा पॉलिसी पर फर्म द्वारा किए गए व्यय की स्वीकार्यता
सहभागी की स्थिति में प्रमुख बीमा पॉलिसी प्रीमियम पर फर्म द्वारा किए गए व्यय की स्वीकार्यता से संबंधित मुद्दे को विवादस्पद किया गया है।
2. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड परिपत्र सं. 762/1998 दिनांक 18.02.1998 स्पष्ट करता है कि प्रमुख बीमा पॉलिसी पर दिया गया प्रीमियम व्यापारिक व्यय के तौर पर स्वीकार्य है। हालांकि, फर्म के सहभागी पर किए गए ऐसे व्यय की स्थिति में, निर्धारण अधिकारियों की सामान्य दृष्टिकोण व्यय को व्यापार के लिए व्यय न किए गए के तौर पर समझना था तथा इसे अस्वीकृत करना था।
3. उच्च न्यायालय ने सहभागी1 की स्थिति में फर्म द्वारा किए गए व्यय की स्वीकार्यता के फैसले को बरकरार रखा है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 के वाक्यांश (10घ) तथा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड परिपत्र सं. 762 दिनांक 18.02.1998 के स्पष्टीकरण पर विचार करते हुए, न्यायालय ने अधिकार में रखा है कि प्रमुख बीमा पॉलिसी एक कर्मचारी के लिए ली गर्इ नीति तक सीमित नहीं है लेकिन अन्य व्यक्ति जो अभिदाता (निर्धारिती) के व्यापार से किसी भी रूप में, जो भी हो, संबंधित है, के जीवन के संबंध में ली गर्इ बीमा पॉलिसी तक भी विस्तारित है।
4. निर्णय दिनांक 02.02.2016 (एनजेआरएस उद्धरण 2016 - एलएल-0505-68) के मार्फत मैसर्स रमेश स्टील, 2015 की आर्इटीए. 437 की स्थिति में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने उक्त दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा है कि "कथित पॉलिसी जब व्यापार के नुकसान होने पर फर्म को सुरक्षित रखने के लिए सहभागी के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए ली जाती है तो सहभागी व्यापार के लाभ के लिए भी समान रूप से होती है जो सहभागी की असमायिक मृत्यु के परिणामस्वरूप प्रभावी हो सकती है। इसलिए, फर्म के सहभागी की प्रमुख बीमा पॉलिसी पर प्रीमियम व्यापार के लिए पूर्णता तथा विशेष रूप से है तथा व्यापार व्यय के तौर पर स्वीकार्य है"।
5. उक्त दृष्टिकोण केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा स्वीकार गया है तथा निर्णय को आगे विवादास्पद नहीं किया गया है।
6. इसे देखते हुए, यह स्थिर स्थिति है कि फर्म की स्थिति में, व्यापार की क्षति के लिए फर्म की सुरक्षा के लिए सहभागी की प्रमुख बीमा पॉलिसी पर फर्म द्वारा दिया गया प्रीमियम अधिनियम की धारा 37 के अंतर्गत स्वीकार्य व्यय है।
7. तद्नुसार, अब से, इस स्थिर मुद्दे पर, विभाग द्वारा अपील नहीं की जा सकती तथा जो पहले से दाखिल है, उनको वापस लिया/बाध्य नहीं किया जा सकता।
8. उक्त को समस्त संबंधितों के ध्यान में लाया जा सकता है।
(के. वामसी कृष्णा)
उप आयकर आयुक्त (ओएसडी)(आर्इटीजे),
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, नर्इ दिल्ली
निम्न को प्रति :
1. अध्यक्ष, सदस्य तथा अवर सचिव व उससे ऊपर की रैंक के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अधिकारी
2. ओएसडी से राजस्व सचिव
3. समस्त प्रधान मुख्य आयकर आुयक्त व समस्त आयकर महानिदेशक, समस्त अधिकारियों के ध्यान में लाने के लिए अनुरोध के साथ
4. प्रधान आयकर महानिदेशक, राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी, नर्इ दिल्ली
5. प्रधान आयकर महानिदेशक (पद्धति), एआरए सेंटर, झंडेवालान एक्सटेंशन, नर्इ दिल्ली
6. प्रधान आयकर महानिदेशक (सतर्कता), नर्इ दिल्ली
7. अतिरिक्त महानिदेशक (पीआर, पीपी व ओएल), मयूर भवन, नर्इ दिल्ली, त्रैमासिक कर बुलेटिन में मुद्रण के लिए तथा मेलिंग सूची के अनुसार वितरण
8. भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
9. अतिरिक्त महानिदेशक-4 (पद्धति) आर्इटीडी वेबसाइट पर अपलोडिंग के लिए
10. irsofficersonline पर अपलोडिंग के लिए डाटा बेस प्रकोष्ठ
11. गार्ड फाइल
(के. वामसी कृष्णा)
उप आयकर आयुक्त (ओएसडी)(आर्इटीजे),
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, नर्इ दिल्ली
1. बंबर्इ उच्च न्यायालय - सीआर्इटी बनाम बी.एन. एक्सपोर्ट, 2009 की आर्इटीए नं. 2714 दिनांक 31.03.2010-एनजेआरएस प्रमाण 2010-एलएल-0331-10, सीआर्इटी बनाम अग्रवाल एंटरप्रार्इसेज, 2012 की आर्इटीए नं. 1701 दिनांक 07.01.2015 -एनजेआरएस उद्धरण 2015-एलएल-0107-4
गुजरात उच्च न्यायालय - सीआर्इटी बनाम जेम आर्ट्स, 2009 की आर्इटीए नं. 1739 दिनांक 13.03.2012--एनजेआरएस उद्धरण 2012-एलएल-0313
पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय - सीआर्इटी बनाम लाज एक्सपोर्ट, 2012 की आर्इटीए नं. 251 दिनांक 08.11.2013-एनजेआरएस उद्धरण 2013-एलएल-1108-72