अस्वीकरण:

इस दस्तोवज में मौजूद विषय केवल जानकारी के लिए है। इसका उद्देश्य जनता तक सूचना को जल्द और आसानी से पहुंचाना है और इसे कानूनी दस्तोवजों के तौर पर नही समझा जाना चाहिए।

 

जनता को सलाह दी जाती है कि विषय का सत्यापन सरकारी अधिनियमों/नियमों/अधिसूचनाओं आदि से करें।

'हमें कर क्यों देना चाहिए?'

भारतीय नागरिकों को कानून के मुताबिक आयकर और दूसरे कर भरना आपेक्षित है।

1. कुछ लोग प्रश्न उठाते है कि मुझे कर क्यों भरना चाहिए? उनका तर्क होता है कि मुझे अपने भोजन, घर, यात्रा, चिकित्सा उपचार और वाहन खरीदने के लिए केवल वाहन की कीमत ही नही बल्कि वाहन कर और अन्य चीजों का भुगतान करना पड़ता है। कई सड़को पर व्यक्ति को टोल कर भी भरना पड़ता है। वह यह भी कहते है कि अगर हम अमरीका, ब्रिटेन जैसे देशों से तुलना करे तो वहां लोगों को बिना किसी कीमत के सामाजिक सुरक्षा के साथ चिकित्सीय सुविधाए मिलती है पर भारत ऐसे सुविधाओं की पेशकश नहीं करता।

2. सरकार नागरिकों के लिये क्या करती है:

यह सच है कि भारत सामाजिक सुरक्षा और मुफ्त चिकित्सीय सेवाएं प्रदान नही करता जैसा विकसित देशों में होता हैं। पर हमे इस मुद्दे को बड़े नजरिये से देखना चाहिये। हमे सरकार की तारीफ करनी चाहिये कि उन्हे बहुत सी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती है जिसमे सरकारी अस्पतालों के द्वारा (जिसमे मुफ्त सेवा दी जाती है), स्वास्थ्य सेवाएं,  शिक्षा (सरकारी व नगर निगम में फीस न के बराबर है), शामिल हैं। सरकार खाना पकाने वाली गैस को रियायती दर या सबसिडी रेट पर देती है। नि:संदेह सरकार का भारी खर्च राष्ट्रीय सुरक्षा, आधारित संरचना विकास आदि में होता है। विभिन्न विभागों में लाखों कर्मचारियों तथा प्रशासनिक शुल्क भी सरकार द्वारा वहन किया जाता है। यद्यपि न्यायिक प्रक्रिया में देरी शामिल हैं तब तक न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेट तथा न्यायिक स्टाफ के वेतन, भत्ते भी सरकार द्वारा दिए जाते हैं। इस प्रकार सरकार की इन विभिन्न कर्त्तव्यों पर विचार करते हुए हमें सराहना करने की आवश्यकता हैं कि हमें कानून के अनुसार कर देना चाहिए। हमें जिम्मेदार नागरिक की भूमिका अदा करना चाहिए।

3. कर को समाज के लिए हमारी ओर से दिए गए मूल्य की बजाय बोझ क्यों समझा जाता है:

सामान्य तौर पर एक कर दाता कर को बोझ समझता है और इन्सानी फितरत है कि कर से कैसे बचा जाए या न्यूनतम कर दिया जाए। शुरूआती सालों में कर की दरे भी बहुत अधिक थी। अस्सी के दशक से पहले उपकर सहित आयकर की दर 97.75 प्रतिशत तक थी। पर अब हालात तेजी से बदल रहे है। कर की दरे तो कम हो गई है पर विकसित देशों की तरह हमारे देश में इच्छित कर रिवाज की कमी है। अमरीका उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा है कि "कर सभ्यता की कीमत है"। समय आ गया है कि कर को बोझ न समझकर समाज की कीमत समझा जाए।

4. आइये कर रिवाज को विकसित करने के लिये हम सब हाथ मिलाएं:

(क) यह माना हुआ तथ्य है कि भारत में कर रिवाज की कमी है। कर नीव को बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद हमारे देश में 81.8 मिलियन कर दाता है (https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1992182#:~:text=The%20Income%2Dtax%20Department%20has,2022.) जो कि 145 करोड़ जनसंख्या का 5.64 प्रतिशत है जो कि हमारे देश के लिए बहुत कम है। इसके विपरीत अमरीका में 50 प्रतिशत से अधिक परिवार कर देते है।  इसके बहुत से कारण है। इसका मुख्य कारण है कि बहुत से भारतीय पर्याप्त आय नही कमा पाते कि वह आयकर भरने के योग्य हो पर मुख्य कारण कर रिवाज की कमी है क्योंकि भारत में ग्रामीण व प्रछन्न अर्थ व्यवस्थाएं भी है।

(ख) एक करदाता समझता है कि हमारे देश में कर प्रणाली बेढंगी, विरोधात्मक, अक्षमतापूर्ण, अयोग्य तथा कुछ हद तक भ्रष्ट है। बहरहाल सत्तर के दशक में आयकर (उपकर सहित) की 97.75 प्रतिशत की उच्चतम दर के विपरीत, अब भारतीय रु. 2.5 लाख वार्षिक (जो देश के भारी बहुमत को कवर करती है) तक कमाते हैं जो किसी आयकर देने से छूट प्राप्त हैं। जो रु. 2.5 लाख से 5 लाख के बीच कमाते है 5 प्रतिशत कर देने के पात्र है जो 5 लाख से 10 लाख कमाते हैं वह 20 प्रतिशत कर तथा जो 10 लाख से अधिक अर्जित करते है 30 प्रतिशत की दर से कर देने के लिए उत्तदायी होते हैं। आगे आपको किसी आयकर का भुगतान करने की आवश्यकता नही है यदि आपकी कुल आय रू. 5,00,000 से अधिक नही होती। ऐसा रू. 5,00,000 तक की आय अर्जित करने वाले छोटे करदाताओं के मामले में रू. 12,500 तक की कर छूट देने के लिए किया गया है।

सरकार ने व्यक्ति, एचयूएफ, एओपी, बीओआई और एजेपी के लिए नई वैकल्पिक कर व्यवस्था भी पेश की है, जिसमें 4 लाख रुपये सालाना तक की आय पर कोई कर देय नही है। 4 लाख और 8 लाख रुपये के बीच आने वाले 5 प्रतिशत कर के अधीन हैं; 8 लाख से 12 लाख रुपये कमाने वालों पर 10 फीसदी कर; 12 लाख से 16 लाख रुपये तक कमाने वालों पर 15 फीसदी कर; 16 लाख से 20 लाख रुपये कमाने वालों पर 20 फीसदी कर; और 20 लाख से 24 लाख कमाने वालों के लिए 25 फीसदी कर; और 24 लाख से अधिक कमाने वालों के लिए 30  फीसदी कर की दर। यहां भी 60,000 रुपये तक की कर छूट उपलब्ध है बशर्ते करदाता रू. 12,00,000 तक की आय कमाता हो।

(ग) बेशक कर इकठा करने की क्षमता कही अधिक है जो हमे आज प्राप्त होता है पर वह तभी संभव है जब हम पर्याप्त व ठोस कदम उठा कर रिवाज को विकसित करने में और ईमानदारी भरे कदम उठाकर कर दाता की परेशानी कम करने में और बिना कोई रूकावट के सेवा करदाता के साथ तुरंत तथा निष्पक्ष व्यवहार को सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेही के अर्थ को विकसित करें। कर संग्रहण के सरकार की ओर से जारी किए गए अनंतिम आंकड़ें बताते है कि वित्य वर्ष 2023-24 के लिए कर संग्रहण के अनंतिम सरकारी आंकड़े रु. 19.58 लाख करोड़ थी।

(घ) विभाग ने कर आधार को बढ़ाने के लिये "नॉन फाइलर और स्टॉप फाईलर पर ध्यान देना शुरू कर दिया है । हमें भारत में कर नियंत्रित क्रम को प्राप्त करने का लक्ष्य बनाना चाहिये जो कि विश्व में सबसे बेहतर हो। क्रेडिट सुईसी ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2024 के अनुसार भारत के पास कुछ 8,68,000 करोड़पति है। जिनके 2028 तक 10,61,000 के होने की सम्भावना भी हैं

5. कर भुगतान की ओर तथा कर रिवाज को विकसित सरकार तथा करदाता की उदासीनता के कारण निम्न है :

(क) अधिकतर लोग समझते है कर बोझ है और इससे बचना चाहिये।

(ख) कर दाता यह समझते है उनके साथ सख्ती दिखाई जा रही है और कर कानूनों के सख्त प्रावधान उनके खिलाफ उन पर लागू किये जा रहे है। इसलिये कर विभाग से दूर रहना ही बेहतर है इसलिये नॉन फाइलर्स की गिनती बढ़ रही है।

(ग) एक उपयुक्त कर रिवाज तभी विकसित हो सकता है जब करदाता और कर संग्राहक अपना कर्तव्यों का ठीक से पालन करें।

(घ) कई करदाता कर संग्राहकों की शक्तियों को गलत धारणा के कारण भ्रमित तथा प्रेरणाहीन हो जाते है अपनी इच्छानुसार अपने काम का बोझ करदाता पर डालने का और उनकी तरफ ऐसा व्यवहार जैसा निर्धारिती आँकड़ों के साथ खिलवाड़ करके कर से बचना चाहता है। ऐसे भ्रम कर रिवाज की जड़ों को खोखला कर देते है।

6. करदाताओं का बदलता व्यवहार :

करदाताओं के व्यवहार की वर्तमान वास्तविकता यह है कि न्यायसंगत कर के भुगतान की प्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी हो रही हैं। विशेष रूप से युवा व्यापारियों का झुकाव उचित कर भुगतान की ओर है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है, आयकर प्राधिकरण को भाग पर निष्पक्ष व्यवहार की भावना तथा कार्य प्रवृत्ति के बारे में शिकायतों का विश्लेषणात्मक अध्ययन आगे मदद करेगा।

7. व्यावसायिकों की भूमिका :

कर व्यावसायिको की भूमिका है कि अपने ग्राहकों को तत्कालीन कर दृश्य से अवगत करवाएं जो गत वर्षो के मुकाबले कही अधिक सरल है। वह कारदाताओं को शिक्षित करने में एक अहम भूमिका निभा सकते है कि क्यों उन्हे सही कर भरना चाहिये।

8. विद्यार्थी देश का भविष्य है :

हमे विद्यार्थियों को भी यह शिक्षा देनी चाहिये कि देश के विकास के लिए सही कर भरना कितना आवश्यक है। वह हमारे देश का भविष्य है।

9. जिनकी कर योग्य आय है :

जिनकी आय कर योग्य है उन्हे अपनी सच्ची आय की घोषणा कर के, नियत समय के भीतर आयकर तथा आयकर विवरणी भरनी चाहिये। इसमे देरी करने से ब्याज व जुर्माना लग सकता है। कर से बचने और दूसरे संगीन लापरवाहियों के खिलाफ प्राधिकारी अर्जित व्यक्तियों के विरूद्ध कदम उठा सकते है। विभाग सर्वेक्षण भी कर सकता है उसमे एक अन्वेषण विभाग भी है, जिसके पास जाँच और जब्त करने की ताकत है इसलिये सावधान रहना आवश्यक है।

10. निष्कर्ष:

हम सबको कर व्यवस्था विकसित करने में मदद की प्रतिज्ञा करनी चाहिये और सकरात्मक जन राय बनाने में मदद करनी चाहिये। हमे कुछ कर दाताओं की दुविधाओं को दूर करना चाहिये जो कर का भुगतान करने के खिलाफ है।

 

 

[वित्त अधिनियम, 2025 द्वारा संशोधित]