5 एजेंटों की [नियुक्ति.

प्र.45. अन्यथा किसी भी जगह के संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित जब तक (1), बैंक, सार्वजनिक हित के संबंध में, बैंकिंग, बैंकिंग विकास और अपनी राय में नेशनल बैंक की नियुक्ति, इस संबंध में प्रासंगिक हैं जो इस तरह के अन्य कारकों की सुविधा होने सकता है , या स्टेट बैंक, या एक इसी नए बैंक (बैंकिंग कंपनी (अधिग्रहण और उपक्रमों का हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 (1970 का 5), या एक इसी नए बैंक बैंकिंग कंपनियों की धारा 3 के तहत गठित की धारा 3 के तहत गठित अधिग्रहण और उपक्रमों का हस्तांतरण) अधिनियम, 1980 (1980 का 40), या भारतीय स्टेट बैंक (समनुषंगी बैंक) अधिनियम, 1959 (1959 का 38) में परिभाषित के रूप में किसी भी सहायक बैंक, सभी स्थानों पर अपने एजेंट के रूप में, या किसी भी स्थान पर बैंक के रूप में इस तरह के उद्देश्यों के लिए भारत में निर्दिष्ट कर सकता है.

(2) किसी भी बैंक (1) बैंक की ओर से बैंक में किए जाने के लिए आवश्यक कोई भुगतान, या किसी भी बिल, hundies या वितरित होने के लिए आवश्यक अन्य प्रतिभूतियों प्राप्त करने के लिए उप - धारा के तहत उसके एजेंट के रूप में बैंक द्वारा नियुक्त किया जाता है तो बैंक में, किसी भी कानून या नियम के तहत, कानून के बल, एक ही होने के नियमों या अन्य निर्देश तो बैंक के एजेंट के रूप में नियुक्त बैंक में भुगतान किया है या दिया जा सकता है.]


प्र.5. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास अधिनियम के लिए बैंक 1981 से प्रभावी द्वारा प्रतिस्थापित 1982/01/05. इससे पहले, धारा 45 भारत अधिनियम स्टेट बैंक, 1955 से प्रभावी द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था 1955/01/07, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (समनुषंगी बैंक) अधिनियम, 1959, 1959/10/09 से प्रभावी और बाद में हैदराबाद अधिनियम स्टेट बैंक, 1956 द्वारा संशोधन, wref 22-10-1956.