झूठी सूचना देने या सूचना न देने आदि के लिए दण्ड।
63.(1) कोई भी व्यक्ति जानबूझकर और द्वेषपूर्वक गलत सूचना देकर इस अधिनियम के अधीन गिरफ्तारी या तलाशी करवाता है तो दोषसिद्धि पर उसे दो वर्ष तक के कारावास या पचास हजार रुपए तक के जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकेगा।
(2) यदि कोई व्यक्ति,—
| (क) | धारा 3 के अधीन किसी अपराध से संबंधित किसी बात की सच्चाई बताने के लिए विधिक रूप से आबद्ध होते हुए, इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी प्राधिकारी द्वारा उससे पूछे गए किसी प्रश्न का उत्तर देने से इंकार कर देता है; या | |
| (ख) | इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही के दौरान अपने द्वारा दिए गए किसी कथन पर हस्ताक्षर करने से इंकार करता है, जिस पर हस्ताक्षर करने की मांग कोई प्राधिकारी विधिक रूप से कर सकता है; या | |
| (ग) | जिसे धारा 50 के अधीन किसी निश्चित स्थान और समय पर साक्ष्य देने या लेखा पुस्तकें या अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए उपस्थित होने के लिए समन जारी किया गया है, वह उस स्थान या समय पर उपस्थित होने या लेखा पुस्तकें या दस्तावेज प्रस्तुत करने में चूक जाता है, |
वह प्रत्येक ऐसे व्यतिक्रम या असफलता के लिए शास्ति के रूप में पांच सौ रुपए से कम नहीं होगी, किन्तु दस हजार रुपए तक की हो सकेगी।
(3) इस धारा के अधीन कोई आदेश उपधारा (2) में निर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा तब तक पारित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस व्यक्ति को, जिस पर शास्ति अधिरोपित किए जाने का प्रस्ताव है, ऐसे प्राधिकारी द्वारा मामले में सुनवाई का अवसर न दे दिया जाए।
[(4) उपधारा (2) के खंड ( ग ) में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जो धारा 50 के अधीन जारी किए गए किसी निदेश की जानबूझकर अवज्ञा करता है, उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 174 के अधीन भी कार्यवाही की जा सकेगी।]