विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 का अनुप्रयोग I
46.(1) इस अधिनियम में अन्यथा उपबंधित के सिवाय, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबंध (जिसके अंतर्गत जमानत या बंधपत्र के बारे में उपबंध भी हैं) विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों पर लागू होंगे और उक्त उपबंधों के प्रयोजनों के लिए विशेष न्यायालय को सेशन न्यायालय समझा जाएगा और विशेष न्यायालय के समक्ष अभियोजन का संचालन करने वाले व्यक्ति को लोक अभियोजक समझा जाएगा:
बशर्ते कि केन्द्रीय सरकार किसी मामले या मामलों के वर्ग या समूह के लिए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति भी कर सकेगी।
(2) कोई व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत लोक अभियोजक या विशेष लोक अभियोजक नियुक्त होने के लिए तब तक अर्ह नहीं होगा जब तक कि वह संघ या राज्य के अधीन अधिवक्ता के रूप में कम से कम सात वर्ष तक प्रैक्टिस न कर चुका हो, जिसके लिए कानून का विशेष ज्ञान अपेक्षित है।
(3) इस धारा के अधीन लोक अभियोजक या विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त प्रत्येक व्यक्ति दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 2 के खंड ( प ) के अर्थ में लोक अभियोजक समझा जाएगा और उस संहिता के उपबंध तदनुसार प्रभावी होंगे।