"समायोजित", "सुधार की लागत" और "अर्जन की लागत" के अर्थ
1155. (1) 12[धारा 48 और 49] के प्रयोजनों के लिए–
(क) 13[* * *]
14[(ख) "किसी सुधार की लागत" से,–
(1) किसी पूंजी आस्ति के संबंध में, जो किसी कारबार की गुडविल 15[या किसी चीज या वस्तु के विनिर्माण, उत्पादन या प्रसंस्करण का अधिकार] 16[या किसी कारबार को करने का अधिकार] है, शून्य समझा जाएगा; और
(2) किसी अन्य पूंजी आस्ति के संबंध में,–]
(i) जहां पूंजी आस्ति 17[1 अप्रैल, 18[1981]], से पूर्व, पूर्वतन स्वामी या निर्धारिती की संपत्ति हो गर्इ हो 19[* * *], वहां पूंजीगत प्रकृति का ऐसा सब व्यय अभिप्रेत है जो उक्त तारीख को या उसके पश्चात् पूंजी आस्ति में कोर्इ परिवर्धन या परिवर्तन करने की बाबत पूर्वतन स्वामी या निर्धारिती द्वारा उपगत किया गया है, और
(ii) किसी अन्य दशा में, पूंजी आस्ति के निर्धारिती की संपत्ति हो जाने के पश्चात् उसके द्वारा और जहां पूंजी आस्ति धारा 49 20[की उपधारा (1)] में दी गर्इ किसी रीति से निर्धारिती की संपत्ति हो गर्इ है, वहां पूर्वतन स्वामी द्वारा पूंजी आस्ति में कोर्इ परिवर्तन करने में उपगत सभी पूंजीगत व्यय अभिप्रेत है,
किन्तु उसके अंतर्गत कोर्इ ऐसा व्यय नहीं है जो "प्रतिभूतियों पर ब्याज", "गृह संपत्ति से आय", "कारबार या वृत्ति के लाभ और अभिलाभ" अथवा "अन्य स्रोतों से आय" शीर्ष के अधीन प्रभार्य आय की संगणना करने में कटौती योग्य है तथा "सुधार" पद का अर्थान्वयन तदनुसार किया जाएगा।
21(2) 22[धारा 48 और धारा 49 के प्रयोजनों के लिए "अर्जन की लागत"23 से–
24[(क) किसी पूंजी आस्ति के संबंध में जो किसी कारबार की गुडविल 25[या किसी कारबार से सम्बद्ध कोर्इ व्यापार चिन्ह या ब्रांड नाम] 26[या किसी चीज़ या वस्तु के विनिर्माण, उत्पादन या प्रसंस्करण का अधिकार] 27[या किसी कारबार को करने का अधिकार], अभिधृति अधिकार, मंजिली गाड़ी परमिट या लूम काल है,–
(i) निर्धारिती द्वारा किसी पूर्व स्वामी से खरीदकर ऐसी आस्ति के अर्जन की दशा में क्रय कीमत की रकम अभिप्रेत है; और
(ii) किसी अन्य दशा में, [जो धारा 49 की उपधारा (1) के खंड (i) से खंड (iv) में न हो] लागत शून्य समझी जाएगी;
(कक) 28[उस दशा में, जहां ऐसी पूंजी आस्ति को, जो प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 2 के खंड (ज) के अर्थ में शेयर या कोर्इ अन्य प्रतिभूति29 है (जिसे इस खंड में इसके पश्चात् वित्तीय आस्ति कहा गया है), धारण करने के आधार पर निर्धारिती–
(अ) किसी अतिरिक्त वित्तीय आस्ति में अभिदाय करने का हकदार बन जाता है; या
(आ) उसे बिना संदाय के अतिरिक्त वित्तीय आस्ति आबंटित की जाती है,
वहां खंड (ख) के उपखंड (i) और उपखंड (ii) के उपबंधों के अधीन रहते हुए,]–
(i) ऐसी मूल आस्ति के संबंध में, जिसके आधार पर निर्धारिती किसी अतिरिक्त वित्तीय आस्ति का हकदार बन जाता है, वहां ऐसी मूल वित्तीय आस्ति का अर्जन करने के लिए वास्तव में संदत्त गर्इ रकम अभिप्रेत है;
(ii) ऐसी वित्तीय आस्ति में अभिदाय करने के लिए उक्त हकदारी का त्याग करने के किसी अधिकार के संबंध में, जब ऐसे अधिकार का निर्धारिती द्वारा किसी व्यक्ति के पक्ष में त्याग किया जाए, तो ऐसे निर्धारिती की दशा में लागत शून्य समझी जाएगी;
(iii) ऐसी वित्तीय आस्ति के संबंध में, जिसमें निर्धारिती ने उक्त हकदारी के आधार पर अभिदाय किया है, ऐसी आस्ति का अर्जन करने के लिए उसके द्वारा वास्तव में संदत्त रकम अभिप्रेत है;
30[(iiiक) धन दिए बिना निर्धारिती को आबंटित वित्तीय आस्ति के संबंध में और किसी अन्य आस्ति के धारण के आधार पर ऐसे निर्धारिती की दशा में शून्य समझी जाएगी;] और
(iv) किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा खरीदी गर्इ किसी आस्ति के संबंध में जिसके पक्ष में ऐसी आस्ति में अभिदाय करने के अधिकार का त्याग किया गया है, उसके द्वारा ऐसे अधिकार का त्याग करने वाले व्यक्ति को संदत्त की गर्इ क्रय कीमत राशि और उसके द्वारा ऐसी वित्तीय आस्ति का अर्जन करने के लिए कंपनी या संस्था, जो भी हो, को संदत्त की गर्इ रकम का योग अभिप्रेत है;]
31[(कख) ऐसी पूंजी आस्ति के संबंध में जो साधारण शेयर हैं या भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1992 का 15) की धारा 3 के अधीन स्थापित भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा अनुमोदित 32[अनपरस्परीकरण या] निगमीकरण की किसी स्कीम के अधीन भारत में मान्यताप्राप्त स्टाक एक्सचेंज के किसी शेयरधारक को आबंटित शेयर हैं, एक्सचेंज की उसकी मूल सदस्यता प्राप्त करने की कीमत होगी:]
33[परन्तु किसी पूंजी आस्ति की लागत को, जो किसी मान्यताप्राप्त स्टाक एक्सचेंज के ऐसे शेयर धारक द्वारा अर्जित व्यापार या समाशोधन संबंधी अधिकार हैं, जिसे अनपरस्परीकरण या निगमीकरण की ऐसी स्कीम के अधीन साधारण शेयर या शेयरों का आबंटन किया गया है, शून्य समझा जाएगा;]
(ख) किसी अन्य पूंजी आस्ति के संबंध में–
(i) जहां "पूंजी आस्ति" 34[1 अप्रैल, 35[1981]] के पहले निर्धारिती की संपत्ति हो गर्इ हो36, वहां निर्धारिती के विकल्प पर निर्धारिती को आस्ति प्राप्त करने की लागत या 37[1 अप्रैल, 38[1981]] को आस्ति का उचित39 बाजार मूल्य अभिप्रेत है;
(ii) जहां पूंजी आस्ति धारा 4940[की उपधारा (1)] में विनिर्दिष्ट रीतियों में से किसी रीति से निर्धारिती की संपत्ति हो गर्इ हो41 और पूंजी आस्ति 37[1 अप्रैल, 38[1981]] के पहले पूर्व स्वामी की संपत्ति हो गर्इ हो, वहीं निर्धारिती के विकल्प पर पूर्व स्वामी की पूंजी आस्ति की लागत या 37[1 अप्रैल, 38[1981]] को आस्ति का उचित38 बाजार मूल्य अभिप्रेत है;
(iii) जहां पूंजी आस्ति किसी कंपनी के समापन पर उसकी पूंजी आस्तियों के वितरण पर निर्धारिती की सम्पत्ति हो गर्इ हो और निर्धारिती पर धारा 46 के अधीन उस आस्ति की बाबत "पूंजी अभिलाभ" शीर्ष के अधीन आयकर निर्धारित किया गया हो, वहां वितरण की तारीख को आस्ति का उचित39 बाजार मूल्य अभिप्रेत है;
(iv) 42[* * *]
43[(v) जहां पूंजी आस्ति, जो कंपनी के शेयर या स्टाक के रूप में है–
(क) कंपनी की समस्त या किसी शेयर पूंजी के उसके विद्यमान शेयरों से बड़ी रकम के शेयरों में समेकन और विभाजन पर,
(ख) कंपनी के किन्हीं शेयरों के स्टाक में बदलने पर,
(ग) कंपनी के किसी स्टाक के पुन: शेयरों में बदलने पर,
(घ) कंपनी के किन्हीं शेयरों के कम रकम के शेयरों में पुन: विभाजन पर, या
(ड़) कंपनी के एक प्रकार के शेयरों के दूसरे प्रकार में बदलने पर,
निर्धारिती की संपत्ति हो गर्इ हो, वहां आस्ति के अर्जन की ऐसी लागत अभिप्रेत है जो शेयर या स्टाक के जिससे ऐसी आस्ति आर्इ है, अर्जन की लागत के प्रति निर्देश में परिकलित की गर्इ हो।]
(3) जहां ऐसी लागत जिस पर पूर्व स्वामी ने संपत्ति अर्जित की है ज्ञात नहीं की जा सकती, वहां पूर्व स्वामी को अर्जन की लागत से उस तारीख का उचित बाजार मूल्य अभिप्रेत है जब ऐसी पूंजी आस्ति पूर्व स्वामी की संपत्ति हो गर्इ हो।]
11. सुसंगत केस लॉज़ देखिए।
12. कराधान विधि (संशोधन और प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम, 1986 द्वारा 1.4.1988 से "धारा 48, 49 और 50" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
13. यथोक्त द्वारा लोप किया गया। लोप से पूर्व खंड (क) कराधान विधि (संशोधन) अधिनियम, 1970 द्वारा 1.4.1971 से यथा संशोधित किया गया था।
लोप किए गए खंड में, वित्त अधिनियम, 1986 द्वारा 1.4.1987 से "1 जनवरी, *1964" के स्थान पर "1 अप्रैल, 1974" प्रतिस्थापित किया गया था।
*वित्त (सं. 2) अधिनियम, 1977 द्वारा 1.4.1978 से "1954" के स्थान पर "1964" प्रतिस्थापित किया गया था।
14. "'किसी सुधार की लागत" से, किसी पूंजी आस्ति के संबंध में,–' का वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.4.1988 से प्रतिस्थापित।
15. वित्त अधिनियम, 1997 द्वारा 1.4.1998 से अंत:स्थापित।
16. वित्त अधिनियम, 2002 द्वारा 1.4.2003 से अंत:स्थापित।
17. वित्त अधिनियम, 1986 द्वारा 1.4.1987 से "1 जनवरी, *1964" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
*वित्त (सं. 2) अधिनियम, 1977 द्वारा 1.4.1978 से "1954" के स्थान पर "1964" प्रतिस्थापित किया गया था।
18. वित्त अधिनियम, 1992 द्वारा 1.4.1993 से "1974" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
19. यथोक्त द्वारा "और उस दिन आस्ति का उचित बाजार मूल्य निर्धारिती के विकल्प पर अर्जन की लागत माना जाता है," शब्दों का लोप किया गया।
20. वित्त (सं. 2) अधिनियम, 1967 द्वारा 1.4.1967 से अंत:स्थापित।
21. परिपत्र सं. 31(LXXVII-5) डी, तारीख 21.9.1962 भी देखिये।
22. वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.4.1988 से 'धारा 48 और 49 के प्रयोजनों के लिए, पूंजी आस्ति के संबंध में, "अर्जन की लागत",–' के स्थान पर प्रतिस्थापित।
23. "अर्जन की लागत" पद के अर्थ के लिए सम्बंधित केस लाज़ देखिये।
24. वित्त अधिनियम, 1994 द्वारा 1.4.1995 से खंड (क) के स्थान पर प्रतिस्थापित।
25. वित्त अधिनियम, 2001 द्वारा 1.4.2002 से अंत:स्थापित।
26. वित्त अधिनियम, 1997 द्वारा 1.4.1998 से अंत:स्थापित।
27. वित्त अधिनियम, 2002 द्वारा 1.4.2003 से अंत:स्थापित।
28. वित्त अधिनियम, 1995 द्वारा 1.4.1996 से "उस दशा में, जहां" शब्दों से प्रारंभ और "खंड (ख) के उपखंड (i) और (ii) के अधीन रहते हुए," से समाप्त होने वाले अंश के स्थान पर प्रतिस्थापित। प्रतिस्थापन से पूर्व, कोट किया गया अंश इस प्रकार था :
"उस दशा में जहां प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 2 के खंड (ज) के अर्थ में शेयर या किसी अन्य प्रतिभूति के रूप में, पूंजी आस्ति धारण के फलस्वरूप (जिसे इस खंड में वित्तीय आस्ति कहा गया है) निर्धारिती किसी अतिरिक्त वित्तीय आस्ति के लिए अभिदाय करने का हकदार बन जाता है, खंड (ख) के उपखंड (i) और (ii) के अधीन रहते हुए"
29. "प्रतिभूति" पद की परिभाषा के लिए देखिये, पूर्व पृष्ठ 1.33 पर पाद-टिप्पण 6.
30. वित्त अधिनियम, 1995 द्वारा 1.4.1996 से अंत:स्थापित।
31. वित्त अधिनियम, 2001 द्वारा 1.4.2002 से अंत:स्थापित।
32. वित्त अधिनियम, 2003 द्वारा 1.4.2004 से अंत:स्थापित।
33. वित्त अधिनियम, 2003 द्वारा 1.4.2004 से अंत:स्थापित।
34. वित्त अधिनियम, 1986 द्वारा 1.4.1987 से "1 जनवरी, *1964" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
*वित्त (सं. 2) अधिनियम, 1977 द्वारा 1.4.1978 से "1954" के स्थान पर "1964" रखा गया था।
35. वित्त अधिनियम, 1992 द्वारा 1.4.1993 से "1974" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
36. "निर्धारिती की संपत्ति हो गर्इ हो" पद के अर्थ के लिए सम्बंधित केस लाज़ देखिये।
37. वित्त अधिनियम, 1986 द्वारा 1.4.1987 से "1 जनवरी, *1964" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
*वित्त (सं. 2) अधिनियम, 1977 द्वारा 1.4.1978 से "1954" के स्थान पर "1964" रखा गया था।
38. वित्त अधिनियम, 1992 द्वारा 1.4.1993 से "1974" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
39. "उचित" पद के अर्थ के लिए सम्बंधित केस लाज़ देखिये।
40. वित्त (सं. 2) अधिनियम, 1967 द्वारा 1.4.1967 से अंत:स्थापित।
41. "निर्धारिती की संपत्ति हो गर्इ हो" पद के अर्थ के लिए सम्बंधित केस लाज़ देखिए।
42. वित्त अधिनियम, 1966 द्वारा 1.4.1966 से लोप किया गया। मूल खंड (iv) वित्त अधिनियम, 1964 द्वारा 1.4.1964 से अंत:स्थापित किया गया था।
43. वित्त अधिनियम, 1964 द्वारा 1.4.1964 से अंत:स्थापित।
[वित्त अधिनियम, 2013 द्वारा संशोधित रूप में]