ख–स्रोत पर कटौती

वेतन

9192. 10(1) "वेतन" शीर्ष के अंतर्गत प्रभार्य किसी आय का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार कोर्इ व्यक्ति संदाय के समय संदेय रकम पर आय-कर 11[* * *] की कटौती 12[* * *] आय-कर की उस औसत दर 12[* * *] पर करेगा जो इस शीर्ष के अंतर्गत निर्धारिती की उस वित्तीय वर्ष की प्राक्कलित आय पर, उस वित्तीय वर्ष के लिए, जिसमें संदाय किया जाता है, 13[प्रवृत्त दरों] के आधार पर संगणित हो।

14[(1क) उपधारा (1) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, किसी परिलब्धि के रूप में, जो धारा 17 के खंड (2) में निर्दिष्ट धनीय संदाय के रूप में उपबंधित नहीं है, किसी आय का संदाय करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति, अपने विकल्प पर ऐसी संपूर्ण आय पर या उसके भाग के संबंध में उस समय, जब ऐसा कर उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन अन्यथा कटौती योग्य था, उससे कोर्इ कटौती किए बिना कर का संदाय कर सकेगा।

(1ख) उपधारा (1क) के अधीन कर का संदाय करने के प्रयोजन के लिए कर "वेतन" शीर्ष के अधीन प्रभार्य आय पर, जिसके अंतर्गत उपधारा (1क) में निर्दिष्ट आय भी है, उस वित्तीय वर्ष के लिए प्रवृत्त दरों के आधार पर संगणित आय-कर के औसत पर अवधारित किया जाएगा और इस प्रकार संदेय कर का यह अर्थ लगाया जाएगा मानो यह उपधारा (1) के उपबंधों के अनुसार "वेतन" शीर्ष के अधीन आय से स्रोत पर कटौती योग्य कर था और वह इस अध्याय के उपबंधों के अधीन होगा।]

15[(2) जहां, वित्तीय वर्ष के दौरान, निर्धारिती एक ही समय में एक से अधिक नियोजकों के अंतर्गत नियोजित है, या उसने एक से अधिक नियोजकों के अंतर्गत क्रमवर्ती नियोजन धारण किया है वहां वह उपधारा (1) में निर्दिष्ट संदाय करने के लिए उत्तरदायी व्यक्ति को (जो उक्त नियोजकों में से एक है जिसका वह अपने मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए चयन करे) ऐसे अन्य नियोजक या नियोजकों से उसको शोध्य या प्राप्त "वेतन" शीर्ष के अंतर्गत आय के ऐसे ब्यौरे, उससे स्रोत पर कटौती किया गया कर और ऐसी अन्य विशिष्टियां, ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से, जो विहित16 की जाए, सत्यापित करके दे सकेगा और तब ऊपर निर्दिष्ट संदाय करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति उपधारा (1) के अंतर्गत कटौती करने के प्रयोजनों के लिए इस प्रकार दिए गए ब्यौरों को हिसाब में लेगा।]

17[(2क) जहां ऐसा निर्धारिती, जो सरकारी सेवक है या किसी 18[कंपनी, सहकारी सोसाइटी, स्थानीय प्राधिकारी, विश्वविद्यालय, संस्था, संगम या निकाय] का कर्मचारी है, धारा 89 की उपधारा (1) के अंतर्गत राहत के लिए हकदार है वहां वह उपधारा (1) में निर्दिष्ट संदाय करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को ऐसे अन्य विशिष्टियां, ऐसे फार्म में और रीति से, जो विहित की जाए, सत्यापित करके दे सकेगा और तब यथापूर्वोक्त जिम्मेदार व्यक्ति ऐसी विशिष्टियों के आधार पर राहत की संगणना करेगा और उपधारा (1) के अंतर्गत कटौती करने में उनको हिसाब में लेगा।]

19[स्पष्टीकरण–इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए "विश्वविद्यालय" से किसी केन्द्रीय, राज्य या प्रांतीय अधिनियम द्वारा या उसके अंतर्गत स्थापित या निगमित विश्वविद्यालय से अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 (1956 का 3) की धारा 3 के अंतर्गत उस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए विश्वविद्यालय के रूप में घोषित की गर्इ कोर्इ संस्था भी है।]

20[(2ख) जहां ऐसा कोर्इ निर्धारिती जो, "वेतन" शीर्ष के अंतर्गत प्रभार्य कोर्इ आय प्राप्त करता है, और साथ ही आय के किसी अन्य शीर्ष के अंतर्गत प्रभार्य कोर्इ आय (जो "गृह संपत्ति से आय" शीर्ष के अंतर्गत हानि से भिन्न किसी ऐसे शीर्ष के अंतर्गत हानि नहीं है) उसी वित्तीय वर्ष के लिए प्राप्त करता है वहां वह उपधारा (1) में उल्लिखित संदाय करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को,–

() ऐसी अन्य आय और इस अध्याय के किसी अन्य उपबंध के अंतर्गत उस पर कटौती किए गए कर;

() "गृह संपत्ति से आय" शीर्ष के अंतर्गत हानि, यदि कोर्इ हो,

की विशिष्टियां, ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से, जो विहित21 की जाए, सत्यापित करके भेज सकेगा और तब यथापूर्वोक्त जिम्मेदार व्यक्ति उपधारा (1) के अंतर्गत कटौती करने के प्रयोजनों के लिए,–

(i) ऐसी अन्य आय और उस पर काटे गए कर, यदि कोर्इ हो;

(ii) "गृह संपत्ति से आय" शीर्ष के अंतर्गत हानि, यदि कोर्इ हो,

को भी हिसाब में लेगा :

परन्तु किसी भी दशा में इस उपधारा का यह प्रभाव नहीं होगा कि वहां के सिवाय जहां "गृह संपत्ति से आय" शीर्ष के अंतर्गत हानि को हिसाब में लिया गया है, "वेतन" शीर्ष के अधीन आय से कटौती किया जाने वाला कर उस रकम से कम हो जाए जिसकी इस प्रकार कटौती की जाती यदि अन्य आय और उस पर कटौती किए गए कर को हिसाब में नहीं लिया जाता।]

22[(2ग) ऐसा कोर्इ व्यक्ति, जो "वेतन" शीर्ष के अंतर्गत प्रभार्य किसी आय के लिये संदाय करने का जिम्मेदार है, ऐसे व्यक्ति को, जिसको ऐसा संदाय किया जाता है, वेतन के बदले में दी गर्इ परिलब्धियों या लाभों और उसके मूल्य की सही और पूर्ण विशिष्टियां देते हुए, एक विवरण ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से देगा, जो विहित23 की जाए।]

(3) उपधारा (1) 24[या उपधारा (1क)] 25[या उपधारा (2) या उपधारा (2क) या उपधारा (2ख)] में उल्लिखित संदाय करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति, किसी ऐसे आधिक्य या कमी का समायोजन करने के प्रयोजन के लिए, जो वित्तीय वर्ष के दौरान, पूर्ववर्ती कटौती से या कटौती न करने से उत्पन्न होती हो, इस धारा के अंतर्गत कटौती की जाने वाली रकम को कटौती करते समय, बढ़ा या घटा सकेगा।

(4) किसी मान्यता प्राप्त भविष्य निधि के न्यासी या ऐसा कोर्इ व्यक्ति, जो कर्मचारियों को संदेय संचित अतिशेषों का संदाय करने के लिए निधि के विनियमों द्वारा, प्राधिकृत है, उन मामलों में, जिनमें चौथी अनुसूची के भाग क के नियम 9 का उपनियम (1) लागू होता है, कर्मचारी को संदेय संचित अतिशेष को संदत्त करते समय, उसमें से चौथी अनुसूची के भाग क के नियम 10 में उपबंधित कटौती करेगा।

26(5) जहां किसी अनुमोदित अधिवार्षिकी निधि में नियोजक द्वारा किया गया अभिदाय, जिसके अंतर्गत ऐसे अभिदायों पर ब्याज, यदि कोर्इ हो, भी है, कर्मचारी को संदत्त किया जाता है, वहां इस प्रकार संदाय की गर्इ रकम पर निधि के न्यासियों द्वारा 27[कर] की कटौती उस परिमाण तक की जाएगी जिस तक चौथी अनुसूची के भाग ख के नियम 6 में उपबंधित है।

28(6) विदेशी मुद्रा में संदेय वेतन पर कटौती के प्रयोजनों के लिए, ऐसे वेतन का रुपयों में मूल्य विनिमय की विहित दर के अनुसार परिकलित किया जाएगा।

29[* * *]

 

9. तारीख 5.3.1966 का पत्र [फा.सं.12/71/65-आर्इ टी(बी) (उद्धरण)], तारीख 8.2.1988 का परिपत्र सं. 504, तारीख 4.3.1987 का परिपत्र सं. 483, तारीख 28.10.1974 का परिपत्र सं. 147, तारीख 23.11.1976 का पत्र [फा.सं. 237/4/75-ए एंड पीएसी], तारीख 21.10.1980 का परिपत्र सं. 285, तारीख 28.11.1990 का परिपत्र सं. 586, तारीख 11.7.1995 का परिपत्र सं. 707, तारीख 10.10.1997 का परिपत्र सं. 756, तारीख 7.11.1997 का परिपत्र सं. 758, तारीख 13.1.1998 का परिपत्र सं. 761, तारीख 18.11.2003 का परिपत्र सं. 9/2003 और परिपत्र सं. 8/2007, तारीख 5.12.2007 भी देखिए

10. देखिए नियम 26क, 26ख, 28(1), 28कक, 28कख, 30, 31, 31क, 31कख, 33, 36 और 37 और प्ररूप सं. 12ख, 12खक, 13, 16, 16कक, 24थ और 26कघ.

11. वित्त अधिनियम, 1965 द्वारा 1.4.1965 से "और अधिकर" का लोप किया गया।

12. यथोक्त द्वारा "क्रमश:" शब्द तथा "और अधिकर की औसत दर" शब्दों का लोप किया गया।

13. वित्त अधिनियम, 1968 द्वारा 1.4.1968 से "कर की प्रवृत्त दरों" के स्थान पर प्रतिस्थापित।

14. वित्त अधिनियम, 2002 द्वारा 1.6.2002 से उपधारा (1क) और (1ख) अंत:स्थापित।

15. वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.6.1987 से अंत:स्थापित। मूल उपधारा का वित्त अधिनियम, 1965 द्वारा 1.4.1965 से लोप किया गया था।

16. नियम 26क, प्ररूप सं. 12ख देखिए

17. वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.6.1987 से अंत:स्थापित। नियम 21कक और प्ररूप सं. 10ड़ देखिए

18. वित्त अधिनियम, 1989 द्वारा 1.6.1989 से "पब्लिक सेक्टर उपक्रम" के स्थान पर प्रतिस्थापित।

19. वित्त अधिनियम, 1989 द्वारा 1.6.1989 से अंत:स्थापित।

20. वित्त (सं. 2) अधिनियम, 1998 द्वारा 1.8.1998 से प्रतिस्थापित। प्रतिस्थापन से पूर्व उपधारा (2ख) वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.6.1987 से अंत:स्थापित की गर्इ थी।

21. नियम 26ख और प्ररूप सं. 12ग देखिए

22. वित्त अधिनियम, 2001 द्वारा 1.6.2001 से अंत:स्थापित।

23. नियम 26क और प्ररूप सं. 12खक तथा 16 देखिए

24. वित्त अधिनियम, 2002 द्वारा 1.6.2002 से अंत:स्थापित।

25. वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.6.1987 से अंत:स्थापित। इसके पूर्व, वित्त अधिनियम, 1965 द्वारा 1.4.1965 से "या उपधारा (2)" का लोप किया गया था।

26. नियम 33 देखिए।

27. वित्त अधिनियम, 1965 द्वारा 1.4.1965 से "आय-कर और अधिकर" के स्थान पर प्रतिस्थापित।

28. नियम 26 और 115 देखिए

29. वित्त अधिनियम, 1965 द्वारा 1.4.1965 से स्पष्टीकरण का लोप किया गया।

 

 

[वित्त अधिनियम, 2013 द्वारा संशोधित रूप में]