मामलों के समझौते के लिए आवेदन
12245ग. 13[(1) कोर्इ भी निर्धारिती, अपने से संबंधित मामले के किसी भी प्रक्रम पर14, ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से जो विहित की जाए, कोर्इ ऐसा आवेदन, जिसमें उसकी ऐसी आय का, जो 15[निर्धारण] अधिकारी के समक्ष प्रकट नहीं की गर्इ, पूरा और सच्चा प्रकटन है, ऐसी रीति जिससे ऐसी आय प्राप्त हुर्इ है, ऐसी आय पर संदेय आय-कर की अतिरिक्त रकम और ऐसी अन्य विशिष्टियां जो विहित की जाएं दी हों, समझौता आयोग को मामले का समझौता करने के लिए कर सकेगा और ऐसा आवेदन इसमें इसके पश्चात् उपबंधित रीति से निपटाया जाएगा :
16[परंतु ऐसा कोर्इ आवेदन तब तक नहीं किया जाएगा जब तक,–
(i) आवेदन में प्रकट की गर्इ आय पर संदेय आय-कर की अतिरिक्त रकम तीन लाख रुपए से अधिक नहीं है; और
(ii) ऐसे कर और उस पर ब्याज का, जिसका कि इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन संदाय कर दिया गया होता यदि आवेदन में प्रकट की गर्इ आय को आवेदन किए जाने की तारीख को निर्धारण अधिकारी के समक्ष आय की विवरणी में घोषित कर दिया जाता, आवेदन करने की तारीख को या उसके पूर्व संदाय कर दिया गया है और ऐसे संदाय का सबूत आवेदन के साथ संलग्न किया गया है।]
(1क) इस धारा की उपधारा (1) 17[***] के प्रयोजनों के लिए, इस धारा की उपधारा (1) के अधीन किए गए किसी आवेदन में प्रकट की गर्इ आय की बाबत संदेय आय-कर की अतिरिक्त रकम उपधारा (1ख) से उपधारा (1घ) के उपबंधों के अनुसार संगणित रकम होगी।
18[(1ख) जहां आवेदन में प्रकट की गर्इ आय केवल एक पूर्ववर्ष से संबंधित है, वहां,–
(i) यदि आवेदक ने उस वर्ष की कुल आय की बाबत कोर्इ विवरणी नहीं दी है तो कर की संगणना आवेदन में प्रकट की गर्इ रकम पर इस प्रकार की जाएगी मानो ऐसी आय कुल आय हो;
(ii) यदि आवेदक ने उस वर्ष की कुल आय की बाबत कोर्इ विवरणी दे दी है तो विवरणी में दी गर्इ कुल आय और आवेदन में प्रकट की गर्इ आय के योग पर कर की संगणना इस प्रकार की जाएगी मानो ऐसा योग कुल आय हो।]
19[(1ग) उपधारा (1ख) में निर्दिष्ट पूर्ववर्ष के संबंध में आवेदन से प्रकट की गर्इ आय की बाबत संदेय आय-कर की अतिरिक्त रकम–
(क) उस उपधारा के खंड (i) में उल्लिखित मामले में, उस खंड के अधीन संगणित कर की रकम होगी;
(ख) उस उपधारा के खंड (ii) में उल्लिखित मामले में, इस खंड के अधीन संगणित कर की ऐसी रकम होगी जिसमें से उस वर्ष के लिए विवरणी में उल्लिखित कुल आय पर संगणित कर की रकम घटा दी जाएगी;
(ग) 20[***]
(1घ) जहां आवेदन में प्रकट की गर्इ आय एक से अधिक पूर्ववर्षों से संबंधित है वहां प्रत्येक वर्ष के लिए प्रकट की गर्इ आय की बाबत संदेय आय-कर की अतिरिक्त रकम की संगणना पहले उपधारा (1ख) और उपधारा (1ग) के उपबंधों के अनुसार की जाएगी और ऐसे प्रत्येक वर्ष की बाबत, जिसके लिए उपधारा (1) के अधीन आवेदन किया गया है, इस प्रकार निकाली गर्इ रकम का योग आवेदन में प्रकट की गर्इ आय की बाबत संदेय आय-कर की अतिरिक्त रकम होगा।
(1ड़) 21[***]
(2) उपधारा (1) के अधीन किए गए प्रत्येक आवेदन के साथ ऐसी फीस दी जाएगी जो विहित22की जाए।
(3) आवेदक को उपधारा (1) के अधीन किया गया आवेदन वापस लेने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा।
23[(4) निर्धारिती, उस तारीख को, जिसको वह समझौता आयोग को उपधारा (1) के अधीन आवेदन करता है, निर्धारण अधिकारी को, समझौता आयोग को ऐसा आवेदन किए जाने की विहित रीति में सूचना भी देगा।]
12. मामले के समझौते के आवेदन के फार्म के लिए देखिए नियम 44ग और प्ररूप सं. 34ख. आवेदनपत्र के साथ 500 रुपए की फीस भी होनी चाहिए।
13. कराधान विधि (संशोधन) अधिनियम, 1984 द्वारा 1.10.1984 से प्रतिस्थापित।
14. "अपने से संबंधित मामले के किसी भी प्रक्रम पर" पद के अर्थ के लिए देखिए टैक्समैन्स डायरेक्ट टैक्सेज मैनुअल, खंड 3.
15. प्रत्यक्ष कर विधि (संशोधन) अधिनियम, 1987 द्वारा 1.4.1988 से "आय-कर" के स्थान पर प्रतिस्थापित।
16. वित्त अधिनियम, 2007 द्वारा 1.6.2007 से प्रतिस्थापित। प्रतिस्थापन से पूर्व, वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.6.1987 में प्रतिस्थापित तथा बाद में वित्त अधिनियम, 1995 द्वारा 1.7.1995 से संशोधित परन्तुक इस प्रकार था :
"परन्तु ऐसा कोर्इ आवेदन तब तक नहीं किया जाएगा जब तक–
(क) निर्धारिती ने आय की वह विवरणी नहीं दे दी हो, जिसे देने के लिए वह इस अधिनियम के किसी उपबंध के अधीन अपेक्षित है या था; और
(ख) आवेदन में प्रकट की गर्इ आय पर संदेय आय-कर की अतिरिक्त रकम एक लाख रुपए से अधिक नहीं है।"
17. यथोक्त द्वारा 1.6.2007 से "और धारा 245घ की उपधारा (2क) से उपधारा (2घ) तक" शब्दों का लोप किया गया।
18. यथोक्त द्वारा 1.6.2007 से प्रतिस्थापित। प्रतिस्थापन से पूर्व वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.6.1987 से प्रतिस्थापित उपधारा (1ख) इस प्रकार थी :
"(1ख) जहां आवेदन में प्रकट की गर्इ आय केवल एक पूर्ववर्ष से संबंधित है, वहां,–
(i) यदि आवेदक ने उस वर्ष की कुल आय की बाबत कोर्इ विवरणी नहीं दी है, (चाहे उस वर्ष की कुल आय की बाबत निर्धारण किया गया हो या नहीं) तो खंड (iii) के अंतर्गत आने वाले मामले को छोड़कर आवेदन में प्रकट की गर्इ आय पर कर की संगणना इस प्रकार की जाएगी मानो ऐसी आय कुल आय हो;
(ii) यदि आवेदक ने उस वर्ष की कुल आय की बाबत कोर्इ विवरणी दे दी है (चाहे ऐसी विवरणी के अनुसरण में निर्धारण किया गया हो या नहीं) वहां विवरणी में दी गर्इ कुल आय के और आवेदन में प्रकट की गर्इ आय के योग पर कर की संगणना इस प्रकार की जाएगी मानो ऐसा योग कुल आय हो;
(iii) यदि आय-कर प्राधिकारी के समक्ष लंबित कार्यवाही धारा 147 के अधीन आवेदक के पुन:निर्धारण के लिए कार्यवाही की प्रकृति की या ऐसे पुन: निर्धारण के संबंध में अपील या पुनरीक्षण के रूप में कार्यवाही है और आवेदक ने पुन: निर्धारण के लिए ऐसी कार्यवाही के दौरान उस वर्ष की कुल आय की बाबत कोर्इ विवरणी नहीं दी है तो धारा 143 या धारा 144 या धारा 147 के अधीन निर्धारण के लिए पूर्ववर्ती कार्यवाही में यथा निर्धारित कुल आय के और आवेदन में प्रकट की गर्इ आय के योग पर कर की संगणना इस प्रकार की जाएगी मानो ऐसा योग कुल आय हो।"
19. वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.6.1987 से प्रतिस्थापित।
20. वित्त अधिनियम, 2007 द्वारा 1.6.2007 से लोप किया गया। लोप किए जाने से पूर्व खंड (ग) इस प्रकार था:
"(ग) इस उपधारा के खंड (iii) में उल्लिखित मामले में, उस खंड के अधीन संगणित कर की ऐसी रकम होगी जिसमें धारा 143 या धारा 147 के अधीन निर्धारण के लिए पूर्ववर्ती कार्यवाही में निर्धारित कुल आय पर संगणित कर की रकम घटा दी जाएगी।"
21. वित्त अधिनियम, 2002 द्वारा 1.6.2002 से लोप किया गया।
22. विहित फीस 500 रुपए है।
23. वित्त अधिनियम, 2007 द्वारा 1.6.2007 से अंत:स्थापित।
[वित्त (सं. 2) अधिनियम, 2009 द्वारा संशोधित रूप में]