सट्टे के कारबार में हानियां
8173. (1) किसी ऐसी हानि का, जो निर्धारिती द्वारा चलाए गए सट्टे के कारबार की बाबत संगणित की गर्इ हो, मुजरा, किसी अन्य सट्टे के कारबार के लाभों और अभिलाभों के प्रति, यदि कोर्इ हो, किए जाने के सिवाए, नहीं किया जाएगा।
(2) जहां किसी निर्धारण वर्ष के लिए किसी हानि का, जो सट्टे के कारबार के संबंध में संगणित की गर्इ हो, मुजरा उपधारा (1) के अधीन संपूर्णत: नहीं किया गया है, वहां उतनी हानि, जितनी का मुजरा इस प्रकार नहीं किया गया है या जहां किसी अन्य सट्टे के कारबार से निर्धारिती की कोर्इ आय नहीं हुर्इ थी, वहां सम्पूर्ण हानि इस अध्याय के उपबंधों के अधीन रहते हुए अगले निर्धारण वर्ष के लिए अग्रनीत की जाएगी और–
(i) उसका मुजरा निर्धारिती द्वारा चलाए गए किसी सट्टे के कारबार के ऐसे लाभों और अभिलाभों के, यदि कोर्इ हो, प्रति किया जाएगा जो उस निर्धारण वर्ष के लिए निर्धारणीय हों; और
(ii) यदि हानि का मुजरा संपूर्णत: इस प्रकार नहीं किया जा सकता है तो हानि की ऐसी रकम जिसका मुजरा इस प्रकार नहीं किया जा सका, अगले निर्धारण वर्ष के लिए अग्रनीत की जाएगी और इसी प्रकार आगे भी की जाती रहेगी।
(3) अवक्षयण या किसी वैज्ञानिक अनुसंधान पर पूंजीगत व्यय के कारण मोक के संबंध में, धारा 72 की उपधारा (2) के उपबंध सट्टे के कारबार के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे कि वे किसी अन्य कारबार के संबंध में लागू होते हैं।
(4) इस धारा के अधीन, कोर्इ भी हानि उस निर्धारण वर्ष के, जिसके लिए उस हानि की संगणना पहले की गर्इ थी, ठीक बाद के 81क[आठ] निर्धारण वर्षों से अधिक के लिए अग्रनीत नहीं की जाएगी।
82[स्पष्टीकरण.–जहां 83[उस कंपनी से भिन्न कंपनी के, जिसकी सकल कुल आय में मुख्यत: ऐसी आय सम्मिलित है जो ''प्रतिभूतियों पर ब्याज'', ''गृह संपत्ति से आय'', ''पूंजी अभिलाभ'' और ''अन्य स्रोतों से आय'' शीर्षों के अधीन प्रभार्य है] या ऐसी कंपनी के, जिसका मुख्य कारबार बैंककारी है या उधार और अग्रिम देना है, कारबार का कोर्इ भाग अन्य कंपनियों के शेयरों का क्रय और विक्रय है वहां ऐसी कंपनी इस धारा के प्रयोजनों के लिए उस सीमा तक सट्टे का कारबार करने वाली कंपनी समझी जाएगी जिस तक उसका कारबार ऐसे शेयरों के क्रय और विक्रय का है।]
81. परिपत्र सं. 13(102)-आर्इ.टी./53, तारीख 8.9.1954 और परिपत्र सं. 23(XXXIX-4डी), तारीख 12.9.1960 भी देखिए। ब्यौरे के लिए देखिए टैक्समैन्स मास्टर गाइड टु इन्कम टैक्स ऐक्ट।
सुसंगत केस लॉज़ के लिए देखिए टैक्समैन्स मास्टर गाइड टु इन्कम टैक्स ऐक्ट।
81क. वित्त अधिनियम, 2005 द्वारा 1.4.2006 से "आठ" शब्द के स्थान पर "चार" शब्द रखा जाएगा।
82. कराधान विधि (संशोधन) अधिनियम, 1975 द्वारा 1.4.1977 से अंत:स्थापित।
83. वित्त अधिनियम, 1987 द्वारा 1.4.1988 से ''धारा 109 के खंड (ii) में यथा परिभाषित विनिधान कंपनी से भिन्न कंपनी के", शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।
[वित्त अधिनियम, 2005 तथा विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 द्वारा संशोधित रूप में]