[ धारा 19 के तहत जांच की प्रक्रिया I

26.(1) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या किसी वैधानिक प्राधिकरण से संदर्भ प्राप्त होने पर या धारा 19 के अंतर्गत प्राप्त अपने ज्ञान या सूचना के आधार पर, यदि आयोग की यह राय है कि प्रथम दृष्टया मामला विद्यमान है, तो वह महानिदेशक को मामले की जांच कराने का निर्देश देगा:

बशर्ते कि यदि प्राप्त सूचना की विषय-वस्तु, आयोग की राय में, किसी पूर्व प्राप्त सूचना के समान है या उसमें समाहित है, तो नई सूचना को पूर्व प्राप्त सूचना के साथ सम्मिलित किया जा सकेगा।

(2) जहां केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या कानूनी प्राधिकरण से निर्देश प्राप्त होने पर या धारा 19 के अधीन सूचना प्राप्त होने पर आयोग की यह राय है कि प्रथम दृष्टया कोई मामला विद्यमान नहीं है, वहां वह मामले को तत्काल बंद कर देगा और ऐसे आदेश पारित करेगा, जो वह ठीक समझे और अपने आदेश की एक प्रति, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या कानूनी प्राधिकरण या संबंधित पक्षकारों को भेजेगा।

[ (2क) आयोग धारा 3 में निर्दिष्ट समझौते या धारा 4 के तहत किसी उद्यम या समूह के आचरण की जांच नहीं कर सकता है, यदि धारा 19 के तहत प्राप्त जानकारी या केंद्र सरकार या राज्य सरकार या किसी वैधानिक प्राधिकरण से प्राप्त संदर्भ में उठाए गए वही या मूलतः वही तथ्य और मुद्दे आयोग द्वारा अपने पिछले आदेश में पहले ही तय कर लिए गए हैं I]

(3) महानिदेशक, उपधारा (1) के अधीन निदेश प्राप्त होने पर, आयोग द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर अपने निष्कर्षों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

[ (3क) यदि उपधारा (3) में निर्दिष्ट महानिदेशक की रिपोर्ट पर विचार करने के पश्चात् आयोग की राय में आगे जांच की आवश्यकता है तो वह महानिदेशक को मामले में आगे जांच करने का निर्देश दे सकेगा।

(3ख) महानिदेशक उपधारा (3क) के तहत निर्देश प्राप्त होने पर मामले की जांच करेगा और आयोग द्वारा निर्दिष्ट अवधि के भीतर अपने निष्कर्षों पर एक अनुपूरक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। I]

(4) आयोग [ उपधारा (3) और (3ख) ] में निर्दिष्ट रिपोर्ट की एक प्रति संबंधित पक्षों को भेज सकता है:

बशर्ते कि यदि जांच केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या कानूनी प्राधिकरण से प्राप्त संदर्भ के आधार पर की जाती है, तो आयोग [ उप-धारा (3) और (3ख) ] में निर्दिष्ट रिपोर्ट की एक प्रति केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या कानूनी प्राधिकरण को भेजेगा, जैसा भी मामला हो।

(5) यदि [ उपधारा (3) और (3ख) ] में निर्दिष्ट महानिदेशक की रिपोर्ट में यह सिफारिश की जाती है कि इस अधिनियम के उपबंधों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, तो आयोग महानिदेशक की ऐसी रिपोर्ट पर, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या वैधानिक प्राधिकरण या संबंधित पक्षों से आपत्तियां या सुझाव आमंत्रित करेगा।

(6) यदि उपधारा (5) में निर्दिष्ट आपत्तियों या सुझावों पर, यदि कोई हों, विचार करने के पश्चात् आयोग महानिदेशक की सिफारिश से सहमत हो जाता है तो वह मामले को तत्काल बंद कर देगा और ऐसे आदेश पारित करेगा, जो वह ठीक समझे और अपना आदेश, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या कानूनी प्राधिकरण या संबंधित पक्षकारों को संसूचित करेगा।

(7) यदि उपधारा (5) में निर्दिष्ट आपत्तियों या सुझावों पर, यदि कोई हों, विचार करने के पश्चात् आयोग की यह राय है कि आगे जांच की आवश्यकता है तो वह महानिदेशक द्वारा मामले में आगे जांच करने का निर्देश दे सकता है या मामले में आगे जांच करवा सकता है या स्वयं इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार मामले में आगे जांच कर सकता है।

(8) यदि [ उपधारा (3) और उपधारा (3ख) ] में निर्दिष्ट महानिदेशक की रिपोर्ट में यह सिफारिश की जाती है कि इस अधिनियम के किसी उपबंध का उल्लंघन हुआ है और आयोग की यह राय है कि आगे जांच की आवश्यकता है तो वह इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार ऐसे उल्लंघन की जांच करेगा।]

[ (9) उप-धारा (7) या उप-धारा (8) के तहत जांच या जांच पूरी होने पर, जैसा भी मामला हो, आयोग मामले को बंद करने का आदेश पारित कर सकता है या धारा 27 के तहत आदेश पारित कर सकता है, और अपने आदेश की एक प्रति केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या कानूनी प्राधिकरण या संबंधित पक्षों को भेज सकता है, जैसा भी मामला हो:

बशर्ते कि ऐसा आदेश पारित करने से पहले, आयोग कारण बताओ नोटिस जारी करेगा जिसमें कथित रूप से किए गए उल्लंघनों और ऐसे अन्य ब्यौरे दर्शाए जाएंगे जो विनियमों द्वारा निर्दिष्ट किए जा सकते हैं और संबंधित पक्षों को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाएगा। I]